महाकुंभ जैसी अभेद्य सुरक्षा में कावड़ यात्रा, 7 जिलों में 11000 कैमरों की डिजिटल सेना, भीड़ का मैप तैयार

हिमा अग्रवाल

शुक्रवार, 18 जुलाई 2025 (11:46 IST)
Kavad Yatra: पश्चिमी उत्तरप्रदेश की सड़कों पर इन दिनों केवल एक रंग दिखाई दे रहा है वह है भगवा। हरिद्वार (Haridwar) से पवित्र गंगा जल लेकर आ रहे शिवभक्तों का सैलाब ही नहीं, बल्कि हाईटेक निगरानी (high tech surveillance) का जाल भी फैला हुआ है।ALSO READ: यदि आप कावड़ यात्रा नहीं कर पा रहे हैं तो कैसे शिवजी पर जल अर्पित करें, जानिए

हर तरफ 'बोल बम' के जयकारे, भगवा रंग की बयार, सड़कों पर करोड़ों भोले भक्त और उसके साथ-साथ पुलिस की डिजिटल नजरें (digital eyes)। ये सब मिलकर कावड़ यात्रा को एक अभूतपूर्व पर्व बना रहे हैं। शिवभक्तों की इतनी बड़ी सेना का जिम्मा पुलिस-प्रशासन के कंधों पर होता है। ऐसे में जिन जिलों से होकर कावड़ यात्रा गुजरती है, वहां पुलिस की पैनी नजर रहती है।ALSO READ: मेरठ में कावड़ यात्रा व सुरक्षा के मद्देनजर स्कूल कॉलेज 23 जुलाई तक बंद
 
11,000 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए :  मेरठ जोन के एडीजी भानु भास्कर के मुताबिक इस बार की कावड़ यात्रा को महाकुंभ की तर्ज पर व्यवस्थित किया जा रहा है। मेरठ जोन के 7 जिलों सहारनपुर, हापुड़, शामली, मुजफ्फरनगर, बागपत, गाजियाबाद और मेरठ में करीब 11,000 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। ये कैमरे सिर्फ ट्रैफिक ही नहीं, भीड़ के मूवमेंट, सड़क की स्थिति और किसी भी अनहोनी पर नजर रख रहे हैं। खास बात यह कि इन कैमरों की मॉनिटरिंग थानों और जोनल स्तर के साथ-साथ लखनऊ से भी हो रही है।ALSO READ: कावड़ यात्रा 2025: यूपी सरकार ने कमर कसी, शिवभक्तों की कावड़ के साथ छेड़छाड़ पड़ेगी महंगी
 
अब हादसे से पहले 'सूचना' पहुंच जाती है : इन कैमरों की मॉनिटरिंग का जीता-जागता प्रमाण उस समय आया, जब 2 दिन पहले सहारनपुर जिले के बेहट क्षेत्र में बाढ़ से सड़क कट गई। यह खबर सबसे पहले कैमरे के जरिए कंट्रोल रूम तक पहुंची। तत्काल संबंधित विभाग को अलर्ट किया गया और मरम्मत का काम शुरू हुआ। कैमरों की नजरों ने एक बड़े हादसे को होने से बचा लिया यानी अब हादसे से पहले 'सूचना' पहुंच जाती है।ALSO READ: कावड़ यात्रा कितने प्रकार की होती है? जानें इसके विभिन्न रूप और महत्व
 
क्या बोले एडीजी भानु भास्कर? : एडीजी भानु भास्कर ने बताया कि पुलिस केवल सुरक्षा गार्ड नहीं, बल्कि 'पुलिस मित्र' की भूमिका में है। हर दिन सुबह 7 बजे जोन स्तर पर पुलिस अफसरों की बैठक होती है, जहां यात्रा की रणनीति बनाई जाती है। सबसे हाईटेक बात यह है कि भीड़ की 'डेंसिटी मैपिंग' हो रही है। कहां कितनी भीड़ है, किस दिशा में बढ़ रही है, यहां तक कि भीड़ का 'स्वभाव' कैसा है, इस पर रिसर्च हो रही है। भीड़ के मूवमेंट को देखकर आगे की प्लानिंग तय की जा रही है।ALSO READ: झूला कावड़ में मां को बैठाकर हरिद्वार से पैदल निकले मल्लू, बने आज के श्रवण कुमार
 
शिव के भोलों का जलवा चारों तरफ : कावड़ पर्व चल रहा है, ऐसे में दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड राज्यों में शिव के भोलों का जलवा चारों तरफ है। महत्वपूर्ण यह भी है कि अहम् भूमिका उत्तराखंड और उत्तरप्रदेश राज्यों की है, क्योंकि उत्तराखंड के हरिद्वार, यमुनोत्री और गंगोत्री से कावड़िए पवित्र जल लेकर अपने धाम के शिवालयों की तरफ कूच कर रहे हैं। इन कावड़ियों को उत्तरप्रदेश से होकर गुजरना पड़ता है। इस बार कावड़ यात्रा में करीब 5 करोड़ श्रद्धालु वेस्ट यूपी से गुजर सकते हैं। ऐसे में इस यात्रा को एक अभेद्य सुरक्षा किले में तब्दील कर दिया गया है।ALSO READ: श्रावण के साथ ही शुरू होगी कावड़ यात्रा, जानें क्या करें और क्या न करें
 
श्रद्धा, सुरक्षा और तकनीक का ऐसा अनूठा संगम पहले ही शायद किसी धार्मिक यात्रा में देखने को मिला हो। कावड़िए अब सिर्फ 'हर-हर महादेव' ही  नहीं कह रहे, बल्कि कैमरों के जरिए महादेव की 'डिजिटल सेना' भी उन्हें सुरक्षित कर रही है।ALSO READ: Kanwar Yatra 2025 : कावड़ यात्रा में जा रहे हैं तो जान लीजिए 10 प्रमुख नियम
 
Edited by: Ravindra Gupta

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