ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ऑफ मेलबर्न के एंड्रयू किंग ने कहा, यह परिणाम ग्लोबल वार्मिंग के साथ आने वाली असमानताओं का उदाहरण है। विडंबना है कि सबसे ज्यादा ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन करने वाले अमीर देशों पर इसका सबसे कम असर होगा जबकि गरीब देश इससे सर्वाधिक प्रभावित होंगे।
सबसे कम प्रभावित वह देश होंगे जो टेंपरेट राष्ट्र (जहां तापमान अत्यधिक गर्म या ठंडा नहीं होता) हैं, जिनमें सबसे पहले नंबर पर ब्रिटेन है। इसके विपरीत भूमध्यवर्ती क्षेत्र के देश जैसे कि कांगो ग्लोबल वार्मिंग से सर्वाधिक प्रभावित होंगे। उष्णकटिबंधीय क्षेत्र से बाहर के इलाकों में वार्मिंग के प्रभाव का उतना पता नहीं चलेगा।
हालांकि भूमध्यवर्ती इलाके, जहां पहले से औसत तापमान काफी अधिक होता है और सालभर तापमान में ज्यादा बदलाव नहीं होता वहां पर जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान में थोड़ा भी बदलाव होने पर वह एकदम से महसूस होगा और इसका तत्काल प्रभाव भी पता चलेगा। टेंपरेट इलाकों में आने वाले ज्यादातर राष्ट्र अमीर हैं और गरीब राष्ट्र उष्णकटिबंध क्षेत्र में आते हैं। (भाषा)