कुछ लोगों को उम्मीद है कि शीतयुद्ध जैसे टकराव का अंत होगा और उत्तर कोरिया अपने परमाणु हथियारों को त्याग देगा, जबकि अन्य लोगों को प्योंगयांग की मंशा पर संदेह है, वहीं कुछ ऐसे भी लोग हैं जिनका कहना है कि उनके देश में खुद ही बहुत सारी आर्थिक समस्याएं हैं जिन पर ध्यान देने की जरूरत है।
पेशे से कामगार ली ईयून-हो (70) ने कहा कि उत्तर कोरिया अपने परमाणु हथियारों को कभी नहीं छोड़ेगा, क्योंकि किम ने तो उन्हें विकसित ही इसलिए किया ताकि सत्ता पर उसकी पकड़ बनी रहे। शिखर वार्ता से मुझे बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं है। फिर से एकीकरण असंभव होगा, क्योंकि 4 ताकतें (अमेरिका, चीन, रूस और जापान) एकीकृत कोरिया देखना पसंद नहीं करतीं।
पूर्व बैंककर्मी चोई हो-चुल (73) ने कहा कि उन्हें इस बात पर संदेह है कि उत्तर कोरिया अपने परमाणु हथियार छोड़ देगा, क्योंकि वह उसकी आबादी नियंत्रित करने का जरिया है। मैं शर्तिया तौर पर कहता हूं कि उत्तर कोरिया अपने परमाणु हथियार नहीं छोड़ेगा तथा अमेरिका और उसके सहयोगी देशों को उत्तर कोरिया से प्यार और सख्ती दोनों तरह से पेश आना चाहिए ताकि वह परमाणु हथियार छोड़ दे।
पेंशनर चो सुंग-क्वोन (62) ने कहा कि अगर हम लड़ना बंद कर दें तो यह अच्छी चीज होगी। सीमाई गांव पनमुनजोम गांव में दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति मून जे-इन से 2 मुलाकातों के बाद किम की छवि मेरी नजरों में बहुत सुधरी है। कम उम्र होने के बाद भी वह काफी चालाक लगता है तथा मुझे लगता है कि उत्तर कोरिया परमाणु हथियारों को छोड़ देगा, क्योंकि वह जानता है कि उसके पास कोई अन्य विकल्प नहीं है।
बेरोजगारी का सामना कर रहे ली डो क्यू (27) ने कहा कि उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया के बीच हाल में हुई शिखर वार्ता ने राजनीति में उसकी दिलचस्पी बढ़ा दी थी, लेकिन यह रुचि जल्द ही खत्म भी हो गई है तथा इन दिनों नौकरी तलाशने में आ रही दिक्कतों के कारण मुझे उन बातों में दिलचस्पी नहीं रही। (भाषा)