Donald Trump News : अमेरिका में जाने माने भारतवंशी विशेषज्ञ ने कहा है कि डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के अंतर्गत अपेक्षाकृत रूप से भारत की स्थिति काफी अच्छी है। उन्होंने कहा कि नवनिर्वाचित राष्ट्रपति भारत को समस्या के रूप में नहीं देखते हैं, लेकिन शुल्क और वैध आव्रजन के मुद्दे पर बाधाएं आ सकती हैं। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि दो मुद्दे हैं, जहां कुछ रुकावटें आएंगी। एक, कुछ व्यापार मुद्दों पर, जहां भारत अमेरिका के साथ काफी बड़ा व्यापार अधिशेष प्राप्त करता है। चीन पर एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह (चीन) ट्रंप प्रशासन की सबसे बड़ी अनिश्चितताओं में से एक है।
ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ) अमेरिका के कार्यकारी निदेशक ध्रुव जयशंकर ने ट्रंप (78) के राष्ट्रपति पद के लिए शपथ ग्रहण से कुछ दिन पहले कहा, मैं हमेशा कहता हूं कि भारत ट्रंप प्रशासन के तहत अपेक्षाकृत काफी बेहतर स्थिति में है। डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी को अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगे।
जयशंकर की पुस्तक विश्व शास्त्र हाल में बाजार में आई है। उन्होंने कहा, ट्रंप की मांगें क्या हैं : उनका कहना है कि अमेरिकी सहयोगी मुफ्त में बहुत कुछ पा रहे हैं, जबकि उन्हें और अधिक करना चाहिए। उन्हें विदेशी सहायता पसंद नहीं है। इसलिए कई मुद्दों पर भारत वास्तव में सीधे-सीधे प्रभावित नहीं होने जा रहा है क्योंकि वह भारत को एक समस्या के रूप में नहीं देखते हैं।
उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि दो मुद्दे हैं, जहां कुछ रुकावटें आएंगी। एक, कुछ व्यापार मुद्दों पर, जहां भारत अमेरिका के साथ काफी बड़ा व्यापार अधिशेष प्राप्त करता है। ट्रंप से जुड़े कुछ लोगों का मानना है कि भारत अनियंत्रित व्यापार प्रथाओं में शामिल है, जबकि भारत का कहना है कि ऐसा नहीं है और वह इस तथ्य की ओर इशारा करता है कि भारत वास्तव में दुनिया के बाकी हिस्सों के लिए शुद्ध आयातक है। यह एक उपभोक्ता-आधारित अर्थव्यवस्था है।
उन्होंने कहा, इसलिए मुझे लगता है कि पहले कुछ महीनों में बातचीत मुश्किल होगी, लेकिन उम्मीद है कि जल्द यह एक अच्छी स्थिति में पहुंच जाएगी। छह महीने या एक साल के भीतर, हम किसी तरह का व्यापक समझौता कर लेंगे, जहां दोनों पक्ष आर्थिक जुड़ाव की शर्तों को समझेंगे।
जयशंकर ने कहा, दूसरा मुद्दा अप्रवास का है, जो मुश्किल हो सकता है। जाहिर है कि यह बिना दस्तावेज वाले प्रवासियों के मामले में बहुत स्पष्ट है, लेकिन मुझे लगता है कि वैध प्रवास का सवाल भी अमेरिका में पहले से ही एक मुद्दा बन चुका है। ये दो ऐसे क्षेत्र हैं जिन पर मेरी नजर रहेगी। इसलिए यह ऐसा रिश्ता नहीं है जिसमें कुछ अड़चनें नहीं हों। लेकिन मुझे लगता कि यह रिश्ता सकारात्मक दिशा में बना रहेगा।
चीन पर एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह (चीन) ट्रंप प्रशासन की सबसे बड़ी अनिश्चितताओं में से एक है। उन्होंने कहा, कम से कम अब तक घोषित नियुक्तियों के आधार पर, सबसे प्रमुख दृष्टिकोण यह है कि चीन को अमेरिका के एक व्यवस्थित प्रतियोगी के रूप में देखा जाता है।
उन्होंने कहा कि कुछ ऐसे भी लोग हैं जो मानते हैं कि चीन एक प्रतिस्पर्धी बना हुआ है। उनका कहना है कि अमेरिका को वास्तव में अन्य क्षेत्रों, यूरोप और पश्चिम एशिया में अपनी मौजूदगी या तो खत्म कर लेनी चाहिए या फिर कम कर लेनी चाहिए।
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और डोनाल्ड ट्रंप के बीच टेलीफोन पर हुई बातचीत : चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने शुक्रवार को अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ टेलीफोन पर बातचीत की। दोनों नेताओं के बीच फोन पर बातचीत 20 जनवरी को ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह से ठीक तीन दिन पहले हुई है।
समाचार पत्र साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की खबर के अनुसार शी ने ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए उपराष्ट्रपति हान झेंग को भेजा है। ऐसा पहली बार है, जब चीन का कोई वरिष्ठ अधिकारी अमेरिकी राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होगा। सरकारी मीडिया ने यह जानकारी दी।
यहां होगा डोनाल्ड ट्रंप का शपथ ग्रहण समारोह : अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भीषण ठंड पड़ने के पूर्वानुमान के कारण सोमवार को कैपिटल रोटुंडा में बंद जगह पर पद की शपथ लेंगे। व्यक्ति ने नाम सार्वजनिक नहीं करने की शर्त पर बताया कि आयोजक प्रतिकूल मौसम और बर्फीली हवाएं चलने की वजह से बंद जगह पर शपथ ग्रहण समारोह आयोजित करने पर चर्चा कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि हर बार शपथ ग्रहण समारोह के समय प्रतिकूल मौसम संबंधी स्थिति में एक विकल्प के तौर पर रोटुंडा को तैयार रखा जाता है। उन्होंने कहा कि शपथ ग्रहण समारोह के लिए संसद की संयुक्त समिति ट्रंप से चर्चा करने के बाद अंतिम फैसला लेगी। मामले से अवगत एक व्यक्ति ने यह जानकारी दी। (एजेंसियां)
Edited By : Chetan Gour