राष्ट्रपति द्वारा 25 जुलाई को संसद भंग करने और कार्यकारी शक्तियां अपने हाथों में ले लेने के बाद से देश में प्रधानमंत्री का पद रिक्त है। उनके इस कदम ने संसद में वर्चस्व रखने वाली इस्लामवादी पार्टी को दरकिनार कर दिया है। वहीं आलोचकों ने इस कदम को तख्तापलट करार देते हुए इसकी निंदा करते कहा है कि यह ट्यूनीशिया में लोकतंत्र को खतरा पैदा करता है।(फोटो सौजन्य : ईटीवी)