'आर्तेमिस2' से चंद्र यात्रा पर जाएंगे 4 यात्री, पहली बार महिला के साथ अश्‍वेत अमेरिकी भी मिशन में शामिल

राम यादव
5 दशक पूर्व, दिसंबर 1972 में अपोलो 17 की उड़ान के बाद से कोई दूसरा अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा पर नहीं गया है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने तय किया है कि सब कुछ यदि ठीक चला तो उसके नए 'आर्तेमिस मिशन' के अंतर्गत 2024 के अंत तक इस लंबे उपवास का अंत हो जाएगा।

'आर्तेमिस2' की उड़ान के साथ चार अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा तक जाएंगे। उनके नाम घोषित कर दिए गए हैं। अंतरिक्ष यात्रा की अनुभवी, जर्मन नाम वाली अमेरिकी नागरिक क्रिस्टीना कोख़ ऐसी पहली महिला बनने जा रही हैं, जिन्हें 'आर्तेमिस2' के माध्यम से चंद्र यात्रा का सौभाग्य मिलेगा। उनके सहयोगी होंगे, अमेरिका के ही विक्टर ग्लोवर और राइड वाइसमैन तथा कैनेडा के जेरेमी हैन्सन।

क्रिस्टीना कोख़ एक इंजीनियर हैं। उनके नाम एक ही बार में सबसे लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने का कीर्तिमान है। विक्टर ग्लोवर अमेरिकी नौसेना के एक अफ़सर हैं। 'आर्तेमिस2' मिशन के वे ही पायलट (चालक) होंगे और किसी चंद्र यात्रा पर जाने वाले पहले अश्वेत अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री बनेंगे।

इसी प्रकार, जेरेमी हैन्सन ऐसे पहले कैनेडियन नागरिक होंगे, जिसे चंद्र यात्रा का अवसर मिलेगा। राइड वाइसमैन, अंरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर रह चुके एक पुराने अनुभवी अंतरिक्ष यात्री हैं। वे 'आर्तेमिस2' के कमांडर होंगे। इस पहले नए प्रयास में चंद्रमा पर उतरने की योजना फ़िलहाल नहीं है।

आर्तेमिस2 का प्रक्षेपण 2024 में
इस समय की योजना के अनुसार, 'आर्तेमिस2' को नवंबर 2024 में प्रक्षेपित किया जाएगा। दिसंबर 2022 में 'आर्तेमिस1' मिशन की सफल उड़ान, मानव रहित एक परीक्षण उड़ान थी। उसमें चंद्रमा तक गए और उसकी परिक्रम कर 26 दिन बाद सुरक्षित लौट आए 'ओरायन' (Orion) नाम वाले कैप्सूल की सीटों पर दो महिलारूपी पुतलों को बिठाया गया था।

इन पुतलों में अनेक ऐसे सेंसर आदि लगे थे, जिनके द्वारा विशेषकर भावी महिला अंतरिक्ष यात्रियों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक सौर एवं ब्रह्मांडीय विकिरण (रेडिएशन) के प्रभावों का अध्ययन किया जाना था। भविष्य में कभी मंगल ग्रह पर मनुष्य को भेजने से पहले इस प्रकार के अध्‍ययन बहुत ज़रूरी हैं, क्योंकि मंगल ग्रह पर की परिस्थितियां पृथ्वीवासी मनुष्यों के रहने-जीने के बहुत ही प्रतिकूल हैं।

आर्तेमिस3 के यात्री चंद्रमा पर उतरेंगे
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा, 'आर्तेमिस2' की उड़ान के एक वर्ष बाद 'आर्तेमिस3' के प्रक्षेपण की तैयारी करना चाहती है। 'आर्तेमिस3' के यात्री चंद्रमा पर उतरेंगे। नासा के वैज्ञानिक एवं इंजीनियर यथासंभव इस चालू दशक में ही चंद्रमा पर रहने और काम करने के लिए एक स्थाई अड्डा बनाना शुरू करना चाहते हैं।

इस अड्डे पर रहकर वे शोध कार्य और वे तैयारियां की जाएंगी, जो बाद में मंगल ग्रह पर जाने-रहने का मार्ग प्रश्स्त करेंगी। पृथ्वी पर से सीधे मंगल ग्रह पर जाने में बहुत समय और ईंधन लगेगा। इसलिए आरंभ में पहले चंद्रमा पर जाने, वहां आवश्यक तकनीकी सुविधाओं वाला एक अड्डा बनाने और तब वहां से मंगल ग्रह की दिशा में उड़ान भरने में वैज्ञानिक कहीं अधिक बुद्धिमानी देखते हैं।

पहले चंदमा पर और इसके बाद कभी मंगल ग्रह पर जाने की इन तैयारियों में यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी 'एसा' (ESA) सहित कई देशों की अंतरिक्ष एजेंसियां अपना सहयोग दे रही हैं। उदाहरण के लिए, 'आर्तेमिस1' के रॉकेट ने भावी यात्रियों के लिए बने 'ओरायन' नाम के जिस कैप्सूल को चंद्रमा की दिशा में उछाला, उसका तथाकथित 'सर्विस मॉड्यूल,' यूरोपीय विमान निर्माता कंपनी 'एयरबस' के जर्मनी के ब्रेमन शहर में स्थित कारख़ाने में बना है।

संक्षेप में ESM (यूरोपियन सर्विस मॉड्यूल) कहलाने वाला 'ओरायन' का यह अंग उसके हृदय के समान है। वहीं 'ओरायन' में बैठे अंतरिक्ष यात्रियों को शुद्ध हवा, बिजली और पानी देगा। उनके लिए सही तापमान बनाए रखेगा।

'ओरायन' अनुमान से अधिक कार्यकुशल रहा
चंद्रमा की परिक्रमा करने के बाद पिछले दिसंबर में 'ओरायन' के लौट आने पर उसकी उड़ान से जुड़े विभिन्न आंकड़ों का ब्रेमन में अध्ययन किया गया। गत फ़रवरी में प्रेस को बताया गया कि 26 दिनों की पूरी उड़ान के दौरान 'ओरायन' ने उससे कहीं कम बिजली और ईंधन खपाया था, जितना पहले अनुमान लगाया गया था। उसके सौर ऊर्जा पैनलों ने खपत से 15 प्रतिशत अधिक बिजली बनाई थी और उसके इंजन ने दो टन कम, यानी 20 प्रतिशत कम ईंधन ख़र्च किया था।

अलग-अलग परिस्थितियों में 'ओरायन' की कार्यकुशलता और क्षमता को जानने के लिए, उसकी उड़ान के दौरान, सूर्य के सापेक्ष उसके चार सौर पैनलों के कोणों को कई बार अदला-बदला गया, उड़ान गति को घटाया-बढ़ाया गया, अधिक विकिरण से उसका सामना कराया गया और इसी प्रकार के दूसरे कई प्रयोग किए गए। हर परीक्षा उसने पास कर ली। इस प्रेस वार्ता के समय यह भी बताया गया कि 'आर्तेमिस2' के लिए बना 'ओरायन' का दूसरा मॉड्यूल अक्टूबर 2021 में अमेरिका भेज दिया गया है।

महिलाओं के लिए विकिरण अधिक हानिकारक
'ओरायन' में बैठे भावी अंतरिक्ष य़ात्रियों के शरीर पर सौर एवं ब्रह्मांडीय विकिरण की मात्रा और उसके हानिकारक प्रभावों को जानने के लिए 'ओरायन1' में जो दो महिलारूपी पुतले रखे गए थे, उन्हें जर्मन अंतरिक्ष एजेंसी DLR ने बनाए थे और उनके भीतर कुछेक हज़ार डिटेक्टर एवं सेंसर लगाए थे।

उनका अध्ययन अभी चल रहा है, पूरा नहीं हुआ है। फ़िलहाल यही जाना जाता है कि महिलाओं के स्वास्थ्य पर अंतरिक्ष में सौर एवं ब्रह्मांडीय विकिरण का प्रभाव पुरुषों पर पड़ने वाले प्रभाव की अपेक्षा कुछ ज़्यादा ही हानिकारक होता है।

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