38 प्रतिशत हो गए ईसाई : दिलचस्प बात यह है कि यहां वक्त के साथ ईसाई कम होते गए मुस्लिम बढते गए। अब यहां करीब 60 प्रतिशत मुस्लिम हैं, जिनमें शिया और सुन्नी का लगभग समान हिस्सा है और लगभग 38 प्रतिशत ईसाई। 1943 में फ्रांस से स्वतंत्रता मिलने के बाद यहां एक गृहयुद्ध चला था और 2006 में इसराइल के साथ एक युद्ध। अरबी यहां की सबसे बोले जाने वाली और संवैधानिक भाषा है।
मुस्लिम शासन : अरबों ने इस प्रदेश के उपर सातवीं सदी के उत्तरार्ध में ध्यान दिया जब उमय्यदों की राजधानी पूर्व में दमिश्क़ में बनी। मध्य काल में लेबनॉन क्रूसेड युध्दो में लिप्त रहा। सलाउद्दीन अय्युबी ने इसको ईसाई क्रूसदारों से मुक्त करवाया। में मिस्र के मामलुक शासकों ने लेबनान पर कब्ज़ा कर लिया। उस्मानी तुर्कों ने जब सोलहवीं सदी में भूमध्यसागर के पूर्वी तट पर कब्जा किया तो लेबनान भी सिसली से लेकर कैस्पियन सागर तर फैले औटोमन उस्मानी साम्राज्य का अंग बना। प्रथम विश्वयुद्ध के बाद यह फ्रांस के शासन में आया। साल 1975-90 तक यहां एक गृहयुद्ध चला। इसका कारण फिलिस्तीन से आए शरणार्थी, अरब-इसरायल युद्ध, ईरान की इस्लामिक क्रांति और धार्मिक टकराव थे।
ईरान ने खड़ा किया हिजबुल्लाह: इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच दुश्मनी काफी पुरानी है। हिजबुल्लाह को खड़ा करने वाला देश ईरान है। ईरान शिया बहुल देश है। हिजबुल्लाह भी शिया मुस्लिम संगठन है। यह जगजाहिर है कि ईरान और इजरायल की नहीं बनती है। इसी साल सीरिया में इजरायली हवाई हमले में ईरानी राजदूत की मौत हुई थी।
इसके बाद ईरान ने करीब 300 ड्रोन और क्रूज मिसाइलों से इजरायल पर हमला किया था। मगर इस हमले में इजरायल का कोई खास नुकसान नहीं हुआ था। वैश्विक दबाव की वजह से ईरान को अपने कदम पीछे खींचने पड़े हैं। मगर जो काम ईरान खुद नहीं कर सकता, वो अपने छद्म समूहों से करवाता है।
क्या है हिजबु्ल्लाह: ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स ने 1982 में लेबनान के 1975-90 के गृह युद्ध के बीच में हिजबुल्लाह की स्थापना की। ये 1979 की इस्लामी क्रांति को आगे बढ़ाने और 1982 में लेबनान पर आक्रमण के बाद इजरायली सेना से लड़ने के ईरान के प्रयास का ही हिस्सा था। ये इस दौरान शिया समुदाय के बीच उभरा। तेहरान की शिया इस्लामवादी विचारधारा को आगे बढ़ाते हुए हिजबुल्लाह ने लेबनानी शिया मुसलमानों की भर्ती की। एक गुट से आगे बढ़ते हुए अब ये सशस्त्र बल गया है और इसका लेबनान में काफी प्रभाव है। अमेरिका से लेकर कई देश इसे आतंकी संगठन मानते हैं। हिजबुल्लाह का सबसे बड़ा फंड का सोर्स ईरान माना जाता है।
Edited By: Navin Rangiyal