Israel-Hamas war: बेटी के कत्‍ल पर बोले पिता- इस मंजर में मौत एक राहत है

ऐसी दुनिया किस काम की जहां जिंदगी जीता जागता नर्क बन जाए और उसमें जिंदा आदमी मौत की कामना करने लगे,यह कहते हुए कि मौत एक ब्‍लेसिंग है...  
इजरायल- हमास की जंग में बच्‍चों का क्‍या कसूर था। छोटे-छोटे मासूम लगभग गुलाब के फूलों के रंग की तरह जिनकी काया है, उनके ऊपर अगर इजरायल और हमास की मिसाइलें गिर रही हैं तो क्‍या आप अंदाजा लगा सकते हैं उनका क्‍या होता होगा? उन्‍हें पैदा करने वाले मां-बाप की आंखों के सामने उनके शरीर क्षत-विक्षप्‍त हालत में यहां वहां बिखरे हों तो इस भयावह मंजर का अंदाजा क्‍या कोई लगा सकता है?

This is the agonizing pain Israeli parents are coping with as their children’s whereabouts are unknown.

If you #StandWithIsrael WATCH:

Credit: CNN pic.twitter.com/UaOI73pACL

— Israel Defense Forces (@IDF) October 13, 2023
खबर है कि इजरायल में हमास के आतंकियों ने 40 ऐसे मासूम बच्‍चों को बर्बरता से कत्‍ल किया है, जिनकी आंखें भी अभी ठीक से खुली नहीं थी। वे ठीक से उन्‍हें भी नहीं पाए थे, जिन्‍होंने उन्‍हें जन्‍म दिया था। कई बच्‍चों को बंधक बना लिया गया है। इस इंसानी बर्बरता में मानवीयता के अंत होने की गवाही देने वाले ऐसे हजारों वीडियो सामने आ रहे हैं, जिनमें जिंदगी के लिए बच्‍चों से लेकर बुर्जुगों तक जिंदगी नहीं बल्‍कि मौत की गुहार लगा रहे हैं।

एक ऐसा ही वीडियो सामने आया है जिसमें पिता अपनी 8 साल की बेटी एमिली के बारे में बता रहा है। कैसे आतंकियों ने उसे मारा, कैसे जिंदा रहने तक वो उनके बंधन में रही है। उन्‍होंने बताया कि उसकी मौत ही एक चीज थी जो सबसे अच्‍छी थी, क्‍योंकि जिंदा लोगों के लिए हमास ने जिंदगी को नर्क से भी बदतर बना दिया है। आयलैंड के इस शख्‍स ने बताया कि जब तक वो गाजा में कहीं लापता थी, तब तक हमारी सांसें रूकी हुई थी, जैसे ही पता चला कि वो मिल गई है, लेकिन उसका कत्‍ल कर दिया गया है तो यह सच में एक ब्‍लेसिंग की तरह था कि वो मर चुकी है, क्‍योंकि यहां जिंदगी मौत से ज्‍यादा बदतर हो चुकी है।

खून से लथपथ, धूल और बारुदी धुएं से सने जिंदा और घायल लोग और मासूम बच्‍चों की मौतों की जो तस्‍वीरें और वीडियो आ रहे हैं उन्‍हें देखा नहीं जा सकता। आलम यह है कि बम और मिसाइलों की गगनभेदी आवाजों की रूहें कांप गई हैं। कई वीडियो ऐसे हैं जिनमें बच्‍चों ने अपने कानों में ऊंगलियां ठूंस ली हैं और वे आतंक की ये आवाजें सुनने के लिए बिल्‍कुल भी तैयार नहीं हैं।

मौत के जो आंकडे सामने आ रहे हैं, वो सिर्फ एक बहुत मोटा अनुमान है। ऐसे कई लोग हैं, बच्‍चे हैं, बुर्जुग हैं जो मिसाइल और रॉकेट के धमाकों से तबाह होकर धंसे घरों, शेल्‍टर हाउस, इमारतों में दब गए हैं। कई बच्‍चे हैं जो अभी किसी मलबे के नीचे दबकर अपनी आखिरी सांसें गिन रहे होंगे। जितना टीवी चैनल्‍स और खबरों में नजर आ रहा है, स्‍थिति उससे कहीं ज्‍यादा भयावह है, इतनी कि जिसका अंदाजा लगा पाना भी मुमकिन नहीं है। जो हालात बन रहे हैं, उससे लगता है कि बर्बरता का ये खेल अभी अपनी सारी हदें पार करेगा।

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