महासचिव एंतोनिया गुतारेस की सुरक्षा परिषद को दी गई रिपोर्ट की एक अग्रिम प्रति में कहा गया कि अंतरराष्ट्रीय चिकित्सा कर्मियों और बांग्लादेश में मौजूद अन्य लोगों का कहना है कि म्यांमार से वहां पहुंचे करीब 7,00,000 रोहिंग्या मुसलमानों ने क्रूर यौन उत्पीड़न के कारण शारीरिक एवं मनोवैज्ञानिक पीड़ा झेली।
गुतारेस ने कहा कि इस दौरान बड़े स्तर पर भय फैलाया गया और यौन हिंसा की गई जिसका मकसद रोहिंग्या समुदाय को अपमानित करना, आतंकित करना और सामूहिक रूप से दंडित करना था, जो कि उन्हें (रोहिंग्या मुसलमानों को) अपने घर छोड़ने के लिए मजबूर करने और उनकी वापसी रोकने के लिए उठाया गया एक सोचा समझा कदम था। (भाषा)