वॉशिंगटन। उल्का पिंड के पृथ्वी से टकराने से जीवन खत्म हो सकता है। वैज्ञानिकों को यह चिंता हमेशा रही है। इस खतरे से निपटने के लिए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का एक अंतरिक्ष यान लाखों मील दूर एक हानिरहित क्षुद्रग्रह से टकराया और इस दौरान उसकी कक्षा को बदलने में वह सफल रहा है। यह जानकारी एजेंसी ने 'सेव द वर्ल्ड' परीक्षण के नतीजों की घोषणा करते हुए दी।
नासा का कहना है कि अंतरिक्ष यान के टकराव ने पृथ्वी को भविष्य के खतरों से बचाने के लिए किए गए परीक्षण में एक क्षुद्रग्रह की कक्षा को बदल दिया यानी अंतरिक्ष यान ने परीक्षण में क्षुद्रग्रह को सफलतापूर्वक विक्षेपित कर दिया। नासा ने अपने तरह का यह पहला प्रयोग 2 सप्ताह पहले किया था।
नासा ने बताया कि उसके द्वारा भेजे गए अंतरिक्ष यान डार्ट ने डिमोर्फोस नामक क्षुद्रग्रह से टकराकर उसमें एक गड्ढा बनाया जिसकी वजह से उससे मलबा अंतरिक्ष में फैल गया और धूमकेतु की तरह हजारों मील लंबी धूल और मलबे की रेखा बन गई। एजेंसी ने बताया कि यान के असर को आंकने के लिए दूरबीन से कई दिनों तक निगरानी की गई ताकि पता चल सके कि 520 फीट लंबे इस क्षुद्रग्रह के रास्ते में कितना बदलाव हुआ है?
उल्काएं वैसे तो पृथ्वी के लिए खतरा नहीं थे। फिर भी परखा जा रहा था कि भविष्य में कोई उल्का अगर सच में पृथ्वी की ओर आई तो क्या हम उसका मार्ग बदल सकते हैं? इसे 'पृथ्वी की सुरक्षा का परीक्षण' मिशन कहा गया।