पुतिन की धमकी के बीच NATO की बैठक, मैक्रों ने कहा- हम नहीं चाहते विश्वयुद्ध

Webdunia
गुरुवार, 13 अक्टूबर 2022 (18:47 IST)
ब्रसेल्स। उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (NATO) ने बृहस्पतिवार को एक बैठक की और उसमें रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की अपने क्षेत्र की रक्षा के लिए परमाणु हमलों की धमकियों को लेकर विचार विमर्श किया। पुतिन ने संकेत दिया है कि वह रूसी हितों की रक्षा के लिए परमाणु हथियारों का भी सहारा ले सकते हैं। नाटो देशों की अगले सप्ताह परमाणु युद्धाभ्यास करने की योजना है। दूसरी ओर, फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रों ने कहा कि हम युद्ध नहीं चाहते। 
 
नाटो के सदस्य देशों के रक्षा मंत्रियों की यह बैठक संगठन के ब्रसेल्स स्थित मुख्यालय में हुई। यह बैठक आमतौर पर वर्ष में एक या दो बार आयोजित होती है। यह बैठक बढ़ते तनाव की पृष्ठभूमि के बीच आयोजित की गई है, क्योंकि नाटो के कुछ सहयोगी देश रूसी हवाई हमलों के खिलाफ अमेरिका के नेतृत्व में यूक्रेन को उन्नत हथियारों और हथियारों की आपूर्ति करते हैं।
 
नाटो रूस की गतिविधियों पर सतर्क नजर रख रहा है, लेकिन परमाणु हमलों को लेकर अभी तक उसके (रूस के) रुख में कोई अंतर नहीं आया है। लेकिन फिलहाल अनिश्चितता के बादल मंडरा रहे हैं क्योंकि अतिरिक्त अनिश्चितता नाटो राजनयिकों के अनुसार, रूस भी नाटो के सदस्य देशों के परमाणु अभ्यास के समय या उसके ठीक बाद अपना परमाणु अभ्यास करने वाला है। इससे युद्ध के संदर्भ में 30 देशों के इस सैन्य संगठन का अनुमान और रूस के इरादों को भांप पाना मुश्किल हो रहा है।
 
30 साझेदार एक साथ जवाब देने को तैयार : ब्रिटेन के रक्षा मंत्री बेन वालेस ने कहा कि रूस भी वार्षिक परमाणु युद्धाभ्यास करेगा और मुझे लगता है कि शायद यह वार्षिक अभ्यास के एक सप्ताह बाद या उसके ठीक बाद होगा, लेकिन हम नियमित अभ्यास से अलग कुछ नहीं चाहते हैं।
 
वालेस ने कहा कि यह एक नियमित अभ्यास है और यह सब तैयारी के बारे में है, ठीक वैसे ही जैसे ‘नाटो की बैठक यह सुनिश्चित करने के बारे में है कि हम किसी भी चीज़ के लिए तैयार हैं। मेरा मतलब है, यह सुनिश्चित करना कि 30 साझेदार एक साथ जवाब देने को तैयार हैं, गठबंधन का दायित्व है और हमें उस पर काम करना जारी रखना होगा।
 
14 देश शामिल होंगे युद्धाभ्यास में : नाटो का अभ्यास, जिसे ‘स्टीडफास्ट नून’ कहा जाता है, जो हर साल लगभग एक ही समय पर आयोजित किया जाता है तथा यह लगभग एक सप्ताह तक चलता है। इसमें परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम लड़ाकू जेट शामिल हैं, लेकिन इसमें कोई जीवित बम शामिल नहीं होता है। पारंपरिक जेट, और निगरानी तथा ईंधन भरने वाले विमान भी इसमें नियमित रूप से भाग लेते हैं।
 
चौदह नाटो सदस्य देश उस अभ्यास में शामिल होंगे, जिसकी योजना 24 फरवरी को रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण करने से पहले बनाई जा चुकी थी। गौरतलब है कि यूक्रेन युद्ध में रूस की योजनाएं गड़बड़ा गई हैं, इसलिए पुतिन ने बार-बार संकेत दिया है कि वह रूसी हितों की रक्षा के लिए परमाणु हथियारों का सहारा ले सकते हैं। रूस यूक्रेन के 18 फीसदी हिस्से पर अवैध कब्जा कर चुका है।
 
नहीं चाहते विश्वयुद्ध : दूसरी ओर, फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रों ने कहा है कि हम विश्व युद्ध नहीं चाहते। उन्होंने कहा कि हम यूक्रेन की संप्रभुता बचाने में मदद कर रहे हैं, लेकिन कभी रूस पर हमला नहीं करेंगे। राष्ट्रपति पुतिन को अब इस युद्ध को रोक देना चाहिए। दूसरी ओर, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की नाटो जल्द से जल्द नाटो का सदस्य बनना चाहते हैं।

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