ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी (एएनयू) की नूर गुएनेली ने बताया कि यह रंग पश्चिम अफ्रीका के मॉरिटानिया में ताओदेनी बेसिन के समुद्री काले पत्थर से लिया गया, जो इससे पहले खोजे गए रंग वर्णों से करीब आधा अरब साल पुराना है।
नूर ने बताया, ये चटख गुलाबी रंग वर्ण क्लोरोफिल के मॉलेक्यूलर जीवाश्म हैं, जिसका उत्पादन समु्द्र में रहने वाले प्राचीन प्रकाश संश्लेषक जीवों ने किया और इन जीवों के अस्तित्व में नहीं रहने के बावजूद लंबे समय से यह वहीं मौजूद था।
'पीएनएएस' पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, जीवाश्मों से प्राप्त रंगों में गहरे लाल रंग से लेकर बैंगनी रंग गाढ़े रूप में मौजूद थे, लेकिन जब उन्हें तरल पदार्थ मिलाकर पतला किया गया तब इनमें से चटख गुलाबी रंग प्राप्त हुआ।
नूर ने बताया, प्राचीन रंगवर्णों के विश्लेषण से इस बात की पुष्टि हुई कि करीब एक अरब साल पहले छोटे साइनोबैक्टीरिया समुद्र में खाद्य श्रृंखला का आधार थे। इससे यह जानने में मदद मिली कि उस समय पशु अस्तित्व में क्यों नहीं थे।
एएनयू में सहायक प्रोफेसर एवं वरिष्ठ मुख्य अनुसंधानकर्ता जोचेन ब्रॉक्स ने बताया कि बड़े, सक्रिय जीव जैसे कि शैवाल के उद्भव को संभवत: वृहद खाद्य कणों की सीमित आपूर्ति से अवरुद्ध किया गया। ब्रॉक्स ने बताया, शैवाल को अब भी माइक्रोस्कोप से देखा जा सकता है, हालांकि वे साइनोबैक्टीरिया से हजार गुणा बड़े और कहीं अधिक प्रचुर खाद्य स्रोत हैं। (भाषा)