नई दिल्ली। रजनीश की जिंदगी एक खुली किताब की तरह से रही है लेकिन बहुत से लोगों को उनके अमेरिका जा बसने और ओरेगोन के ग्रामीण इलाके में अपने सपनों की दुनिया ‘रजनीशपुरम’ की स्थापना करने के पीछे की कहानी शायद अब याद नहीं रही होगी।
बहुत-सी जानी मानी हस्तियों के साथ ही बॉलीवुड अभिनेता विनोद खन्ना भी उनसे प्रभावित होकर अपनी शोहरत की दुनिया छोड़कर गेरूआ चोगा पहन के निकल गए थे। वर्ष 1981-1985 के बीच का उनका अमेरिका प्रवास अब मैकेन और चैंपमैन वे की छह खंड वाली नेटफ्लिक्स डॉक्टयूमेंट्री ‘वाइल्ड वाइल्ड कंट्री’ का विषय है।
उसमें रॉल्स रोयस पर लट्टू इन भारतीय आध्यात्मक गुरु की आकर्षक कहानी है जिन्होंने भक्ति और संदेह को समान रुप से आकर्षित किया। विवादास्पद गुरु समझे जाने वाले रजनीश मध्यप्रदेश के थे और एक अच्छे प्रवचनकर्ता बनने के बाद वह 1970 में मुम्बई चले गए।
उनके अनुयायी बनने लगे और बाद में वह पुणे चले गये। जब शहर में उनके आश्रम का कड़ा विरोध और धमकियां मिलने लगीं तो उन्होंने अमेरिका में एक आश्रम खोलने पर विचर किया। इस संप्रदाय को अमेरिका से भी खदेड़ दिया गया। करीब 64,000 एकड़ क्षेत्र में स्थापित किये गये इस आश्रम ने स्थानीय लोगों को उकसाया। उसके अनुयायियों पर आव्रजन धोखाधड़ी, टैपिंग, स्थानीय चुनाव में गड़बड़ी और जैव आतंकवाद जैसे आरोप लगे। चैपमैन ने कहा, ‘रजनीशपुरम की कहानी अमेरिका में पूरी तरह भुला दी गयी।
दुनियाभर में लोगों को यह तो मालूम है कि ओशो कौन थे लेकिन उसे अमेरिका में उनकी गतिविधियों के बारे में पता नहीं है।’ मैकेन ने कहा, ‘भगवान शायद पहले गुरु थे जिन्होंने रहस्यवाद का पश्चिमी पूंजीवाद से सम्मिलन कराया और ढेरों लोगों को यह आकर्षक संदेश दिया। यह स्वप्रेम, स्वजागरुकता और मानवता के बारे में था। उसने वाकई पूरब और पश्चिम के ढेरों सफल, प्रतिभाशाली लोगों को आकर्षित किया।’
वे ब्रदर्स ने इससे पूर्व बेसबाल डाक्यूमेंट्री ‘दी बैटर्ड बास्टर्ड ऑफ बास्केटबॉल’पर काम किया था।लेकिन उन्हें अभिलेखागार में कुछ ऐसी फुटेज मिली जिनके बारे में दुनिया बहुत कम जानती थी तो उन्हें अहसास हुआ कि उनके हाथ एक बेहद रोचक और रोमांचक कहानी लग गयी है जिसे दुनिया को बताए जाने की जरूरत है। (भाषा)