मॉस्को। आतंकवादी संगठन अल कायदा ने फिर से संगठन को मजबूत कर किसी बड़े आतंकवादी हमले को अंजाम देने की तैयारी के लिए पाकिस्तान को शरणस्थली बना लिया है।
रूस की सरकारी संवाद समिति 'स्पूतनिक' ने पाकिस्तान के कराची शहर के अधिकारियों के हवाले से खबर दी है कि अल कायदा ने अपने संगठन को मजबूत बनाने के लिए कराची को चुना है। वर्ष 2001 में अफगानिस्तान में तालिबान को मिली हार के बाद अल कायदा के ज्यादातर नेता पश्चिमोत्तर पाकिस्तान की तरफ भाग गए, जो अफगानिस्तान की सीमा से लगा है।
हालांकि कुछ आतंकवादियों ने कराची का रुख किया था। अल कायदा के कई आतंकवादी मारे गए और कई खाड़ी देश की ओर भी भागे। अपने खिलाफ जारी अभियानों को देखते हुए अल कायदा ने कराची की भौगोलिक स्थिति और संपन्नता को देखते हुए यहीं से संगठन को मजबूत करने का फैसला किया है।
पाकिस्तान के सबसे बड़े शहर कराची की आबादी काफी अधिक है, जो अल कायदा के अनुकूल है। अल कायदा अब सीधे तौर पर सामने नहीं आ रहा बल्कि वर्ष 2014 में आईएस के खिलाफ संघर्ष के नाम पर गठित भारतीय उपमहाद्वीप में अल कायदा (एक्यूआईएस) नाम के संगठन के माध्यम से कराची में अपनी जड़ें जमा रहा है।
नाम न छापने की शर्त पर कराची में आतंकवाद विरोधी अभियान में शामिल एक अधिकारी ने कहा कि अल कायदा के मुख्य विचारक और योजनाकार खुद सामने नहीं आ रहे हैं लेकिन संगठन के लिए निर्देश दे रहे हैं। बड़ी संख्या में स्थानीय युवा एक्यूआईएस में शामिल हो रहे है।
उक्त अधिकारी के मुताबिक कराची में एक्यूआईएस का सेल वहां के मदरसों और स्कूलों में इस्लाम की शिक्षा देने के नाम पर युवाओं को संगठन में शामिल करने के मौके तलाश रहा है। एक्यूआईएस पाकिस्तान में सक्रिय विभिन्न आतंकवादी संगठनों को एकजुट करने में भी लगा है जिसमें स्थानीय सुन्नी लड़ाके और बंगाली और उर्दू बोलने वाले मुजाहिरों से जुड़े आतंकवादी संगठन शामिल हैं।
पाकिस्तानी सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद सांसद बने कर्नल सैयद ताहिर हुसैन मशहादी ने कहा कि इस क्षेत्र में अल कायदा एक छाते की तरह है जिसके नीचे कई आतंकवादी संगठन हैं लेकिन उसका नियंत्रण उसी के हाथ में है।
उन्होंने कहा कि अल कायदा को पाकिस्तान में ज्यादा मेहनत करने की भी जरूरत नहीं, उसे सिर्फ पहले से ही लोगों का खून करने के लिए तैयार बैठे आतंकवादियों की पहचान करनी है। एक्यूआईएस हाल के दिनों में बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हुए हमले का भी जिम्मेदार है।
पाकिस्तानी अधिकारी के मुताबिक अल कायदा अब अमेरिका पर हुए 9/11 की तरह हमले फिर से नहीं कर सकता लेकिन संगठन 'कुछ बड़ा करने' की फिराक में है। इस रिपोर्ट के मुताबिक आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई का पाकिस्तान का दावा भी खोखला है, क्योंकि पिछले महीने सिर्फ 14 आतंकवादी मारे गए हैं, जो बहुत ही कम संख्या है। (वार्ता)