इमरान खान ने तेज की जादुई आंकड़ा जुटाने की कोशिशें
रविवार, 29 जुलाई 2018 (12:27 IST)
इस्लामाबाद। पाकिस्तान आम चुनाव में सबसे बड़े दल के रूप में उभरी क्रिकेटर से राजनीति में कदम रखने वाले इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए- इंसाफ(पीटीआई) पार्टी ने सरकार बनाने के जादुई आंकड़ा 137 जुटाने की कोशिशें तेज कर दी है। निदर्लीय और आवामी मुस्लिम लीग समेत कम से कम चार छोटे दल पीटीआई के साथ हाथ मिलाते हैं तो खान शीघ्र की पाकिस्तान के नए वजीर-ए- आलम बन जाएंगे।
शनिवार को चुनाव आयोग द्वारा जारी नतीजों में पीटीआई को 115 सीटें मिली हैं और इसे सरकार बनाने के लिए 12 और सीटों की दरकार है। पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग- नवाज को 64 और बिलावल भुट्टो की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) को 43 सीटें मिली हैं। कानून के तहत पांच सीटों से चुनाव लड़ने वाले खान को चार सीटें छोड़नी पड़ेगी। इसी तरह पीटीआई के कुल 109 सीटें बच जाएंगी।
तक्षशिला के गुलाम एक खान ने भी दो सीटों पर सफलता पाई है। उन्होंने पूर्व गृहमंत्री चौधरी निसार अली खान को मात दी है। उन्हें भी एक सीट छोड़नी पड़ेगी। खैबर पखतूनख्वा के पूर्व मुख्यमंत्री परवेज खटक ने भी दोंनों नेशनल एसेंबली और प्रांतीय दोनों सीटों पर चुनाव जीता है। पीटीआई अगर उन्हें दोबारा मुख्यमंत्री बनाना चाहेगी तो एक और सीट पीटीआई की झोली से चली जाएगी। इसी तरह पीटीआई के कुल 109 सीटें बच जाएंगी।
नवगठित बलूचिस्तान आवामी पार्टी और पीएमएल-क्यू ने चार-चार सीटों पर जीत हासिल की है। ग्रैंड डेमोक्रेटिक अलाएंस ने दो सीट हासिल की है जबकि बलूचिस्तान नेशनल पार्टी की झोली में तीन सीटें गई हैं और आवामी नेशनल पार्टी ने एक सीट पर सफलता हासिल की है। आवामी मुस्लिम लीग (एएमएल), पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसानियत और जम्हूरी वतन पार्टी को भी एक-एक सीट मिली है।
आम चुनाव में 12 निदर्लीय उम्मीदवारों ने भी जीत हासिल की है और सरकार के गठन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। पाकिस्तान की कम से कम 12 विपक्षी दलों ने चुनाव में धांधली का आरोप लगाते हुए दोबारा चुनाव कराए जाने की मांग की है और ऐसा नहीं होने पर व्यापक आंदोलन छेड़ने की चेतावनी दी है। इस बीच यूरोपीय संघ और अमेरिका ने भी आरोप लगाया है कि चुनाव निष्पक्ष और स्वतंत्र नहीं हुआ है।
अमेरिका ने चुनाव की निष्पक्षता पर संदेह जताते हुए आरोप लगाया है कि इन चुनावों में पीटीआई को सेना का समर्थन मिला जबकि पीएमएल- एन और पीपीपी ने बंदिशों में अपना प्रचार किया। डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने चुनाव को स्वतंत्र और निष्पक्ष घोषित करने से इंकार कर दिया है। पाकिस्तान के राजदूत रहे हुसैन हक्कानी ने कहा कि चुनाव के नतीजे पहले से ही तय थे।
यूरोपीय संघ और अमेरिका का साथ मिलने के बाद विपक्षी दलों ने खुलकर चुनाव परिणामों का बहिष्कार करते हुए दोबारा चुनाव कराए जाने की मांग की है। चुनाव के दौरान हिंसक घटनाएं भी हुई। मतदान के दिन 25 जुलाई को क्वेटा में विस्फोट हुआ था जिसमें कई लोगों की जान गई थी।
उल्लेखनीय है कि भ्रष्टाचार के मामले में रावलपिंडी की जेल में बंद शरीफ 10 साल की सजा काट रहे हैं। इस जेल में उनकी बेटी मरियम शरीफ भी सात साल की सजा भोग रही है। शरीफ बीमार पत्नी को लंदन छोड़कर इस माह स्वदेश लौटे थे और कहा था कि वह अपने देश के नागरिकों और पार्टी नेताओं एवं कार्यकर्ताओं को अकेले नहीं छोड़ सकते।
उन्होंने यह भी कहा था कि वह कायर नहीं है कि देश से बाहर रहें। उन्हें किसी बात का डर नहीं है क्योंकि वह किसी प्रकार के भ्रष्टाचार में शामिल नहीं हैं, वह अदालत के फैसले को चुनौती देंगे। (वार्ता)