इस्लामाबाद-नई दिल्ली। पाकिस्तान में नेशनल असेम्बली और चार प्रांतीय विधानसभाओं के चुनाव के मतदान 25 जुलाई को हुआ और मतगणना का काम भी रात में शुरू होकर रुझान आने लगे। रात गहराते गहराते पूरी दुनिया यह भी जान जाएगी कि आने वाले पांच सालों के लिए किस पार्टी की सत्ता काबिज होने जा रही है। इस आतंकी देश की दो बातें वाकई भारत को हैरान कर रही हैं...
पहली बात तो यह कि पाकिस्तान में नेशनल असेम्बली और विधानसभा चुनाव दोनों एक साथ हुए हैं। नेशनल असेम्बली की 272 सीटों और चार प्रांतों पंजाब, सिंध, बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा की प्रांतीय विधानसभाओं की कुल 577 सीटों के लिए मतदान हुआ। यानी भारत की भाषा में कहें तो लोकसभा और विधासभा के चुनाव दोनों एक साथ एक ही दिन में निपटाए गए। यही नहीं, मतदान और मतगणना का काम भी एक ही दिन में पूरा हो रहा है।
इस कार्य से लोगों का समय-पैसा, चुनाव आयोग की कसरत और सुरक्षा संसाधनों की कवायद भी एक बार ही लगी। भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कई बार बोल चुके हैं कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होने चाहिए, लेकिन भारत में यह अभी तक नहीं हो पाया है।
पाकिस्तान में दूसरी अच्छी बात यह है कि यहां पर नेशनल असेम्बली और चार प्रांतीय विधानसभाओं के सदस्यों को चुनने के लिए करीब 10.6 करोड़ पंजीकृत मतदाता हैं। पाकिस्तान की नेशनल असेम्बली में कुल 342 सीटें हैं। इनमें से 272 सीटों पर प्रत्यक्ष निर्वाचन होता है जबकि 60 सीटें महिलाओं और 10 सीटें धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित हैं।
सबसे बड़ी बात यह है कि वहां 60 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हैं। भारत में कई बार चुनाव में महिलाओं के आरक्षण का मुद्दा तो उठता रहा है लेकिन कभी भी इस पर संजीदगी के साथ फैसला नहीं हुआ। भारत में राजनीतिक पार्टियां इस मुद्दे पर बिखरी हुई नजर आती हैं। पाकिस्तान को भले ही दुनियाभर में आतंक का पोषक कहा जाता रहा हो और वह बारूद की फसल पैदा कर आतंकवादियों को परोसता रहा हो लेकिन चुनाव के साथ ही उसकी ये दो अच्छी बातें भी सुर्खियां बटोरने में कामयाब रही हैं।