Pakistan Supreme Court's decision in the case of former Prime Minister Zulfikar Ali Bhutto : पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो को 1979 में सैन्य शासन ने फांसी दी थी, लेकिन उनके मामले में निष्पक्ष सुनवाई नहीं की गई थी। दरअसल पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने अपने ससुर भुट्टो को फांसी की सजा मामले को दोबारा विचार के लिए 2011 को उच्चतम न्यायालय भेजा था, जिसके बाद न्यायालय ने यह फैसला सुनाया।
फांसी की सजा मामले को दोबारा विचार के उच्चतम न्यायालय भेजा था : दरअसल पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने अपने ससुर भुट्टो को हत्या के एक मामले में उकसाने के लिए दोषी ठहराए जाने और 1979 में उन्हें दी गई फांसी की सजा मामले को दोबारा विचार के लिए 2011 को उच्चतम न्यायालय भेजा था, जिसके बाद न्यायालय ने यह फैसला सुनाया।
न्यायमूर्ति ईसा ने कहा, लाहौर उच्च न्यायालय की ओर से मामले की कार्यवाही और पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय की अपील संविधान के अनुच्छेद चार और नौ में निहित निष्पक्ष सुनवाई और उचित प्रक्रिया के मौलिक अधिकार से मेल नहीं खाती....।
लेकिन भुट्टो को सुनाई गई मौत की सजा को बदला नहीं जा सकता था : शीर्ष अदालत ने हालांकि अपनी राय व्यक्त की, लेकिन यह भी कहा कि भुट्टो को सुनाई गई मौत की सजा को बदला नहीं जा सकता था क्योंकि इसकी इजाजत न तो संविधान देता और न ही कानून और इसलिए यह एक फैसले के तौर पर ही देखा जाएगा। उच्चतम न्यायालय इस पर अपनी विस्तार से राय बाद में जारी करेगा। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour