काठमांडू। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली (KP Sharma Oli) ने शुक्रवार को एक बेतुका बयान जारी करके एक बार फिर नया विवाद खड़ा कर दिया है। ओली ने कहा कि भगवान राम नेपाली हैं न कि भारतीय। असली अयोध्या (Ayodhya) नेपाल में है। उन्होंने कहा कि भगवान राम का जन्म दक्षिणी नेपाल के थोरी में हुआ था। भारत ने सांस्कृतिक अतिक्रमण करके नकली अयोध्या का निर्माण किया है।
केपी शर्मा ओली ने प्रधानमंत्री निवास में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि भगवान श्रीराम की नगरी उत्तर प्रदेश के अयोध्या में नहीं है बल्कि असली अयोध्या नेपाल वाल्मीकि आश्रम के निकट है।
ओली नेपाली कवि भानुभक्त की जयंती के अवसर पर बोल रहे थे। ओली ने कहा कि नेपाल 'सांस्कृतिक अतिक्रमण' का शिकार हुआ है और इसके इतिहास से छेड़छाड़ की गई है।
नेपाल के प्रधानमंत्री ओली ने वाल्मीकि रामायण का नेपाली अनुवाद करने वाले नेपाल के आदिकवि भानुभक्त की जन्म जयन्ती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में कहा कि हम लोग आज तक इस भ्रम में हैं कि सीता का विवाह जिस राम से हुआ है वह भारतीय हैं। वह भारतीय नहीं बल्कि नेपाली ही हैं।
भानुभक्त का जन्म पश्चिमी नेपाल के तानहु में 1814 में हुआ और उनका देहांत 1868 में हुआ था। ओली ने कहा, हालांकि वास्तविक अयोध्या बीरगंज के पश्चिम में थोरी में स्थित है, भारत अपने यहां भगवान राम का जन्मस्थल होने का दावा करता है।
प्रधानमंत्री ओली के प्रेस सलाहकार सूर्य थापा के अनुसार उन्होंने कहा, बीरगंज के पास जिस स्थान का नाम थोरी है, वह वास्तविक अयोध्या है जहां भगवान राम का जन्म हुआ था। भारत में अयोध्या पर बड़ा विवाद है लेकिन हमारा अयोध्या पर कोई विवाद नहीं है।
ओली कहा, वाल्मीकि आश्रम भी नेपाल में है और जहां राजा दशरथ ने पुत्र के लिए यज्ञ किया था, वह रिडी में है जो नेपाल में है। ओली ने दावा किया कि चूंकि दशरथ नेपाल के राजा थे यह स्वाभाविक है कि उनके पुत्र का जन्म नेपाल में हुआ था, इसलिए अयोध्या नेपाल में है।
उन्होंने कहा कि नेपाल में बहुत से वैज्ञानिक अविष्कार हुए लेकिन दुर्भाग्यवश उन परंपराओं को आगे नहीं बढ़ाया जा सका। ओली ने अपने इस बेतुके बयान से नया बखेड़ा कर दिया है, जिससे करोड़ो हिंदू आहत हुए हैं। दरअसल पिछले कई दिनों से ओली पर इस्तीफे का दबाव है। यही कारण है कि वे देश की जनता का ध्यान भटकाना चाहते हैं।
आस्था के साथ खिलवाड़ : ओली के बयान की आलोचना करते हुए भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता विजय सोनकर शास्त्री ने कहा कि भारत में भी वामपंथी पार्टियों ने लोगों की आस्था के साथ खिलवाड़ किया था। उन्होंने कहा कि नेपाल में वामपंथियों को लोग उसी प्रकार नकार देंगे, जैसे यहां किया गया।
शास्त्री ने नई दिल्ली में कहा, 'भगवान राम हमारी आस्था के प्रतीक हैं और लोग किसी को भी इससे खिलवाड़ करने की अनुमति नहीं देंगे, भले ही वह नेपाल के प्रधानमंत्री हों या कोई और।'
अपने देश में ही घिर गए ओली : भगवान राम पर दिए गए उल-जलूल बयान पर ओली अपने देश में ही घिर गए हैं। ओली के इस दावे पर नेपाल में राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के नेता और पूर्व उप प्रधानमंत्री कमल थापा ने कड़ी आपत्ति जताई है।
सोशल मीडिया में थापा ने उन्होंने ट्वीट करके कहा, 'किसी भी प्रधानमंत्री के लिए इस तरह का आधारहीन और अप्रामाणित बयान देना उचित नहीं है। ऐसा लगता है कि पीएम ओली भारत और नेपाल के रिश्ते और बिगाड़ना चाहते हैं, जबकि उन्हें तनाव कम करने के लिए काम करना चाहिए।
सनद रहे कि भारत विरोधी टिप्पणियों और कामकाज की शैली को लेकर ओली के इस्तीफे की मांग की जा रही है। यही नहीं एनसीपी के ज्यादातर नेताओं का कहना है कि कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में ओली सरकार नाकाम रही है। उन्हें अपने पद पर बने रहने का अधिकार नहीं है।
एनसीपी में पिछले कुछ महीनों से उथल-पुथल चल रही है लेकिन ओली राष्ट्रवादी नारा देकर और नेपाल के राजनीतिक नक्शे में बदलाव करके असंतुष्ट खेमे का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने अपने देश के राजनीतिक नक्शे में भारत के सामरिक रूप से महत्वपूर्ण तीन क्षेत्रों लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को शामिल कर लिया था।
नेपाल ने भारतीय निजी समाचार चैनलों से आंशिक पाबंदी हटाई : नेपाल के केबल टीवी संचालकों ने सोमवार को भारतीय निजी समाचार चैनलों पर लगी पाबंदियां आंशिक रूप से हटा दीं। केबल टेलीविजन संचालक संघ के उपाध्यक्ष धुर्ब शर्मा ने कहा कि केबल संचालकों की एक बैठक में भारतीय समाचार चैनलों पर लगी पाबंदी हटाने का फैसला किया गया है और केवल कुछ समाचार चैनल नेपाल में प्रतिबंधित हैं।
नेपाल में केबल टेलीविजन संचालक संघ ने दूरदर्शन को छोड़कर सभी भारतीय निजी समाचार चैनलों पर नेपाल की राष्ट्रीय भावना आहत करने वाली खबरें प्रसारित करने का आरोप लगाते हुए उनके प्रसारण पर गुरुवार से रोक लगा दी थी। नेपाल के संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने भी भारतीय खबरिया चैनलों के खिलाफ कार्रवाई करने पर केबल संचालकों का आभार जताया था।
नेपाल ने शुक्रवार को भारत को एक 'राजनयिक टिप्पणी' भेजी और अपने देश तथा नेताओं के खिलाफ ऐसे कार्यक्रमों के प्रसारण पर कदम उठाने का अनुरोध किया जो उसके मुताबिक 'फर्जी, निराधार और असंवेदनशील होने के साथ ही अपमानजनक' हैं।