Pope Francis canonizes 15 year old boy : पोप फ्रांसिस ने लंदन में पैदा हुए एक 15 साल के किशोर को मरणोपरांत संत माना संत है। इस किशोर का नाम कार्लो अकुतिस है, जिसकी 2006 में कैंसर से मौत हो गई थी। संत की उपाधि के लिए कार्लो अकुतिस के मरणोपरांत चमत्कारों को भी श्रेय दिया जा रहा है।
खबरों के अनुसार, अल्पायु में ही मौत से पहले कार्लो अकुतिसस ने ईसाइयत के ऑनलाइन प्रचार के लिए काफी मेहनत की थी। कार्लो के शव को इटली के असिसि शहर में रखा गया है। कार्लो अकुतिस को गॉड्स एन्फ्लुएंसर यानी ईश्वर का प्रभाव बढ़ाने वाले के तौर पर भी जाना जाता है। कार्लो का जन्म ब्रिटेन में हुआ था और उसकी मां इटली मूल की थी। इसके अलावा उसके पिता इटली मूल के ब्रिटिश नागरिक हैं।
कैंसर से मौत से पहले कार्लो ने अपने पैरेंट्स से कहा था, मुझे मरने में खुशी है क्योंकि मैंने एक मिनट भी नहीं गंवाया और जिंदरी पूरे मन से जी है। मैंने ऐसा कुछ भी नहीं किया, जिससे भगवान दुखी हों। पोप फ्रांसिस ने 2020 में असीसी में कार्लो अकुतिस को धन्य घोषित किया।
कोस्टा रिका की रहने वाली एक महिला की बेटी ब्रेन हैमरेज की शिकार थी। उसने कार्लो के शव के सामने प्रार्थना की तो वह ठीक हो गई और दिमाग से खून की ब्लीडिंग भी बंद हो गई। इसके अलावा गंभीर रूप से बीमार एक बच्चे को बचाने के चमत्कार का श्रेय भी कार्लो को दिया जाता है।
गुरुवार को संत प्रकरण के लिए गठित परमधर्मपीठीय परिषद के अध्यक्ष कार्डिनल मार्सेलो सेमेरारो से मुलाकात करते हुए पोप फ्रांसिस ने कई पुरुष और महिला उम्मीदवारों की संत घोषणा की आज्ञप्तियों को अनुमोदन दिया। कार्लो अकुतिस के माध्यम से हुए चमत्कार को मान्यता मिलना निश्चय ही युवा कैथलिकों के लिए सबसे खुशी की बात है।
Edited By : Chetan Gour