PM Modis Europe Visit : फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों के साथ PM मोदी की बातचीत, दिखी खास दोस्ती

Webdunia
गुरुवार, 5 मई 2022 (00:40 IST)
पेरिस। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन योरपीय देशों की अपनी यात्रा के तीसरे और अंतिम चरण में फ्रांस की राजधानी पेरिस पहुंचे। जहां एयरपोर्ट पर उनका स्वागत किया गया। इसके बाद मोदी ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से मुलाकात की। बाचचीत के दौरान प्रधानमंत्री ने मैक्रों को फ्रांस के राष्ट्रपति चुनाव में दोबारा चुने जाने पर बधाई दी। प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने एक ट्वीट में कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों पेरिस में मिले। यह मुलाकात भारत-फ्रांस की दोस्ती को गति देगी।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने एक ट्वीट में कहा कि दो दोस्तों के बीच एक बैठक। फ्रांस राष्ट्रपति के नए जनादेश को भारत-फ्रांस रणनीतिक साझेदारी के लिए एक नई गति में बदलने का मौका।
 
फ्रांस राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने पेरिस के एलिसी पैलेस में पीएम मोदी का गर्मजोशी से स्वागत किया। मैकों और मोदी आपस में गले मिले। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति ने पेरिस में फ्रांस के राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास एलिसी पैलेस में बातचीत हुई। दोनों देश के नेताओं के बीच कई अहम मुद्दों पर व्यापक चर्चा हुई।
 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी तीन दिवसीय यूरोप यात्रा के अंतिम चरण में बुधवार को फ्रांस पहुंचे और पेरिस में भारतीय प्रवासियों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। जिस होटल में प्रधानमंत्री  मोदी पेरिस पहुंचने के बाद पहुंचे थे, उसके बाहर भारतीय समुदाय के लोग मौजूद थे। बच्चे भी बड़ी संख्या में मौजूद थे और उनमें से कई ने प्रधानमंत्री से ऑटोग्राफ मांगे। पेरिस पहुंचने के बाद पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा कि फ्रांस भारत के सबसे मजबूत साझेदारों में से एक है।
भारत और फ्रांस 1998 से रणनीतिक साझेदार हैं। दोनों देशों के बीच रक्षा, असैन्य परमाणु, अर्थव्यवस्था, अंतरिक्ष और समुद्री  सुरक्षा, स्वच्छ ऊर्जा और पर्यावरण, आतंकवाद का मुकाबला, लोगों के बीच संबंधों में बहुआयामी साझेदारी है। भारत और फ्रांस नवंबर 2015 में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सीओपी21 में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा घोषित अंतरराष्ट्रीय सौर  गठबंधन के संस्थापक सदस्य हैं।
 
दोनों देशों के बीच 7.86 अरब अमेरिकी डॉलर (2020-21) के द्विपक्षीय व्यापार और अप्रैल 2000 से 9.83 अरब अमेरिकी  डॉलर के कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के साथ एक मजबूत आर्थिक साझेदारी है।
 
भारत में रक्षा, सूचना प्रौद्योगिकी, परामर्श, इंजीनियरिंग सेवाओं और भारी उद्योगों जैसे क्षेत्रों में एक हजार से अधिक फ्रांसीसी  व्यवसाय मौजूद हैं। फ्रांस में 150 से अधिक भारतीय कंपनियां 7 हजार से अधिक लोगों को रोजगार देती हैं। फ्रांस में एक संपन्न प्रवासी भारतीय समुदाय दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक जुड़ाव को गहरा करता है।
 
यूरोप यात्रा के लिए रवाना होने से पहले एक बयान में मोदी ने कहा था, राष्ट्रपति मैक्रों को हाल ही में फिर से चुना गया है  और चुनाव परिणाम के दस दिन बाद मेरी यात्रा न केवल मुझे आमने-सामने व्यक्तिगत रूप से बधाई देने का मौका देगी,  बल्कि यह दोनों देशों के बीच घनिष्ठ मित्रता की पुष्टि भी करेगी। इससे हमें भारत-फ्रांस रणनीतिक साझेदारी के अगले चरण  की तैयारी करने का अवसर भी मिलेगा।
 
उन्होंने कहा था, राष्ट्रपति मैक्रों और मैं विभिन्न क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर आकलन साझा करेंगे और चल रहे द्विपक्षीय  सहयोग का जायजा लेंगे। यह मेरा दृढ़ विश्वास है कि वैश्विक व्यवस्था के लिए समान दृष्टिकोण और मूल्यों को साझा करने  वाले दो देशों को एकदूसरे के साथ घनिष्ठ सहयोग में काम करना चाहिए।’’
 
कोपेनहेगन से यहां पहुंचे मोदी ने मंगलवार को डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेट्टे फ्रेडेरिक्सेन के साथ ‘सार्थक बातचीत’ की थी और  आर्थिक संबंधों पर चर्चा के लिए एक व्यापार शिखर सम्मेलन में भी भाग लिया। उन्होंने वहां भारतीय समुदाय के सदस्यों को  भी संबोधित किया था और डेनमार्क के शाही परिवार से बातचीत की थी।
 
प्रधानमंत्री मोदी ने बुधवार को दूसरे भारत-नॉर्डिक शिखर सम्मेलन में भाग लिया, जो मुख्य रूप से महामारी के बाद आर्थिक सुधार, जलवायु परिवर्तन, नवीकरणीय ऊर्जा और विकसित वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य पर केंद्रित था।

दोनों देशों में घनिष्ठ संबंध : नरेंद्र मोदी की सरकार आने के बाद से भारत और फ्रांस के बीच अपने ढंग का एक नया और अनोखा गंठबंधन बना है। प्रमाण के तौर पर प्रेक्षक गिनाते हैं कि फ्रांस और भारत के बीच 11 अरब डॉलर का पारस्परिक व्यापार पहले से ही है। रफ़ाल-सौदा अकेले ही क़रीब 30 अरब डॉलर के बराबर है।
 
इसके अतिरिक्त भारत को मिले फ्रांस के 49 मिराज युद्धक विमानों के अद्यतीकरण (अपग्रेडेशन) का भी तीन अरब डॉलर का एक अनुबंध है। 80 के दशक में ख़रीदे गए इन विमानों को आधुनिक बनाने का काम भारत में ही 'एचएएल' के कारख़ानों में किया जा रहा है। इसके लिए आवश्यक तकनीकी ज्ञान एवं साधन भारत को पहले ही मिल चुके हैं।
 
फ्रांसीसी डिज़ाइन वाली छह स्कॉर्पीन पनडुब्बियां भी भारत में बन रही हैं। उनके के लिए आवश्यक तकनीकी ज्ञान भारत को हस्तांतरित कर दिया गया है। तीन पनडुब्बिया बन भी चुकी हैं। भारत को मिलने जा रहे 36 में से पहला रफ़ाल सौंपे जाने के समय भारत-विरोधी कुछ लोग समारोह स्थल के पास प्रदर्शन करना चाहते थे, लेकिन उन्हें भगा दिया गया। 
 
जनवरी 2018 में भारत और फ्रांस के बीच नौसैनिक सहयोग के एक दूरगामी समझौते को अंतिम रूप दिया गया था। उस में कहा गया है कि भारतीय नौसेना, अफ्रीका के पास लाल सागर तट पर बसे जिबूती में फ्रांस के मुख्य नौसैनिक अड्डे तथा दक्षिणी हिंद महासागर के रेउन्यों द्वीप समूह वाले फ्रांसीसी नौसैनिक अड्डों का उपयोग कर सकती है।
 
फ्रांस ही यूरोप का एकमात्र ऐसा देश है, जिस के हिंद महासागर और प्रशांत महासागर में चार नौसैनिक अड्डे हैं। फ्रांस के पास अबू धाबी में भी एक नौसैनिक सुविधा है। भारत को उसके इस्तेमाल की भी अनुमति मिल सकती है। 1983 में भारत और फ्रांस के बीच नौसैनिक अभ्यासों की एक परंपरा शुरू हुई थी, जो अब भी अबाध चल रही है।

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