Russia and Ukraine must negotiate: यूक्रेन संघर्ष का समाधान युद्ध के मैदान में नहीं होने का दावा करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने मंगलवार को बर्लिन में कहा कि रूस और यूक्रेन को बातचीत करनी ही होगी एवं यदि वे सलाह चाहते हैं, तो भारत सलाह देने का सदैव इच्छुक है। जयशंकर ने यहां जर्मन विदेश मंत्रालय के वार्षिक राजदूत सम्मेलन में सवालों का जवाब देते हुए यह टिप्पणी की।
एक दिन पहले उन्होंने सऊदी अरब की राजधानी में भारत-खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) के विदेश मंत्रियों की बैठक से इतर रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ 'सार्थक वार्ता' की थी। उन्होंने कहा कि हमें नहीं लगता है कि इस संघर्ष का युद्ध के मैदान में कोई हल निकलने वाला है। कहीं-न-कहीं कुछ बातचीत तो होगी ही। जब कोई बातचीत होगी, तो मुख्य पक्षों (रूस और यूक्रेन) को उस बातचीत में शामिल होना ही होगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रूस एवं यूक्रेन यात्राओं का स्मरण करते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने मास्को और कीव में कहा है कि यह युद्ध का युग नहीं है। उन्होंने कहा कि हमें नहीं लगता है कि आपको रणभूमि में कोई समाधान मिलने जा रहा है। हमारा मानना है कि आपको बातचीत करनी होगी। यदि आप सलाह चाहते हैं तो हम इसके लिये सदैव इच्छुक हैं। जयशंकर ने कहा कि विभिन्न देशों के बीच मतभेद होते ही हैं लेकिन संघर्ष मतभेदों के समाधान का तरीका नहीं है। अपने संवाद के दौरान उन्होंने कहा 'क्वाड' एक सफल प्रयोग है।
भारत 'क्वाड' का सदस्य है। यह भारत, अमेरिका, जापान एवं आस्ट्रेलिया का सामरिक सुरक्षा संवाद मंच (समूह) है। चीन 'क्वाड' को एक ऐसे गठबंधन के रूप में देखता है जिसका लक्ष्य उसके उभार पर अंकुश लगाना है। चीन इस समूह का कटु आलोचक है।
जयशंकर ने कहा कि अलग-अलग छोर पर स्थित भारत, अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया ने साथ मिलकर काम करने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि और इसी तरह हमने क्वाड को पुनर्जीवित किया। यह उन प्रमुख कूटनीतिक मंचों में से एक है जिसके लिए भारत प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि इस संगठन का, जोर समुद्री सुरक्षा पर सहयोग से एचएडीआर अभियान, कनेक्टिविटी आदि विषयों पर है।
जयशंकर ने यह भी संकेत दिया कि भारत-चीन के साथ व्यापार करता रहेगा। उन्होंने कहा कि चीन के साथ व्यापार के लिए हमारे दरवाजे बंद नहीं हैं। यह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। यह एक प्रमुख विनिर्माता है। इसलिए कोई भी ऐसा नहीं है, जो कह सके कि मैं चीन के साथ व्यापार नहीं करूंगा। मुझे लगता है कि मुद्दा यह है कि आप किन क्षेत्रों में व्यापार करते हैं और किन शर्तों पर। इसलिए, इसका कोई सीधा-सीधा जवाब नहीं हो सकता है, क्योंकि यह बहुत ही जटिल विषय है।
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने गुरुवार को यह कहते हुए 3 देशों के साथ भारत का भी नाम लिया था कि वह यूक्रेन संघर्ष के सिलसिले में उनके संपर्क में हैं और वे वाकई में इसका समाधान करने की ईमानदार कोशिश कर रहे हैं। व्लादिवोस्तोक में पूर्वी आर्थिक मंच के पूर्ण सत्र में पुतिन ने कहा था कि यदि यूक्रेन वार्ता को आगे ले जाने को इच्छुक है, तो मैं ऐसा कर सकता हूं। उनकी यह टिप्पणी प्रधानमंत्री की यूक्रेन की ऐतिहासिक यात्रा के बाद दो सप्ताह के अंदर आयी है। मोदी ने यूक्रेन यात्रा के दौरान राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से भेंट की थी।
रूसी समाचार एजेंसी 'तास' के अनुसार पुतिन ने कहा था कि हम अपने मित्रों और साझेदारों का सम्मान करते हैं जिनके बारे में मेरा मानना है कि वे इस संघर्ष से जुड़े सभी मुद्दों को ईमानदारी से हल करने का प्रयास करेंगे, मुख्य रूप से चीन, ब्राजील और भारत। मैं इस मुद्दे पर अपने सहयोगियों के साथ लगातार संपर्क में रहता हूं।
मोदी ने 23 अगस्त को यूक्रेन की यात्रा की थी, जहां उन्होंने राष्ट्रपति जेलेंस्की से कहा था कि यूक्रेन और रूस को बिना समय बर्बाद किए मिल-बैठकर इस मौजूदा युद्ध को समाप्त करना चाहिए तथा भारत इस क्षेत्र में शांति बहाल करने के लिए 'सक्रिय भूमिका' निभाने को तैयार है।
जयशंकर ने बातचीत में इस बात पर जोर दिया कि पिछले दशक में भारत में बहुत बदलाव आया है और आज यह करीब चार हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था है जिसमें आने वाले दशकों में 8 प्रतिशत की वृद्धि की संभावना है। उन्होंने कहा कि हमारा व्यापार वर्तमान में 33 अरब डॉलर है और आपसी निवेश का स्तर निश्चित रूप से बेहतर हो सकता है। भारत में बदलाव और आसान कारोबारी माहौल प्रेरणा का काम करेगा।
उन्होंने कहा कि चाहे वह हरित और स्वच्छ ऊर्जा हो, टिकाऊ शहरीकरण हो या नई और उभरती हुई प्रौद्योगिकियां हों, हमारा सहयोग एक बेहतर दुनिया के निर्माण में योगदान देता है। जैसे-जैसे हम एआई, इलेक्ट्रिक गतिशीलता, ग्रीन हाइड्रोजन, अंतरिक्ष और सेमीकंडक्टर के युग में प्रवेश कर रहे हैं, हमारे सहयोग का मामला और मजबूत होता जा रहा है।
भारत और जर्मनी के बीच हाल ही में हुए वायुसेना अभ्यास का स्वागत करते हुए जयशंकर ने कहा कि रक्षा सहयोग पर अधिक विचार किया जाना चाहिए, विशेषकर जब भारतीय निजी क्षेत्र इसका विस्तार कर रहा है। इसके लिए निर्यात नियंत्रण को भी अद्यतन करने की आवश्यकता होगी।(भाषा)