यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो के सह प्रोफेसर सैम मैगलियो के नेतृत्व में वैज्ञानिकों की एक टीम ने इस संबंध में अनुसंधान किया है। प्रोफेसर मैगलियो ने 'कॉन्शसनेस एंड कॉग्निशन' पत्रिका में प्रकाशित अपने शोधपत्र में कहा है कि सुबह की नींद से उठाकर फुर्ती भरने वाली कॉफी और चाय में मनोवैज्ञानिक गुण भी हैं जिसके बारे में लोगों को शायद ही मालूम है।
दोनों केवल पीने से ही नहीं ताजगी भर सकतीं बल्कि उससे जुड़ीं चीजों मसलन, मग, प्यालों, चाय के ब्रांड, एक्सप्रेसो, केपिचिनो, लैटे आदि कॉफी का 'लोगो' देखने और चाय अथवा कॉफी के बारे में सोचने मात्र से भी तरोताजा हुआ जा सकता है।
उन्होंने कहा कि हमने अपने शोध में पाया कि दोनों पेय पदार्थों से जुड़ी सांकेतिक चीजों को देखने और उनके बारे में सोचने मात्र से ताजा महसूस किया जा सकता है। इसके लिए अमेरिका, कनाडा और यूरोपीय देशों के साथ-साथ चीन, जापान और कोरियाई देशों के करीब 342 लोगों के 4 समूहों पर शोध किया गया।
उन्होंने कहा कि जिन लोगों को कॉफी अथवा चाय से संबंधित संकेतों को देखने या उनके बारे सोचने के लिए कहा गया, उन्होंने वैसी ही ताजगी महसूस की जैसी कि इन्हें पीने के बाद होती है लेकिन उनमें फूर्ती महसूस करने के स्तर में अंतर था। इसमें चाय से अधिक कॉफी का असर देखा गया।
प्रोफेसर मैगलियो ने कहा कि जिन लोगों को कॉफी से संबंधित संकेतों से रूबरू कराया गया, उनके सोचने के तरीकों में अधिक गहराई और स्पष्टता पाई गई और यहां तक कि उन लोगों ने यह भी महसूस किया कि चाय का एक प्याला देखने की तुलना में कॉफी का प्याला देखने से अधित ताजगी का एहसास होता है। (वार्ता)