सोल। दक्षिण कोरिया की एक अदालत ने भ्रष्टाचार के मामले में पूर्व राष्ट्रपति पार्क ग्यून हे को 25 वर्ष के कारावास की सजा सुनाई है जिस वजह से उन्हें 2017 में सत्ता भी गंवानी पड़ी थी। पार्क लोकतांत्रिक तरीके से निर्वाचित दक्षिण कोरिया की पहली राष्ट्रपति हैं जिन्हें संवैधानिक अदालत ने भ्रष्टाचार के मामले में लिप्त होने के कारण पद से हटा दिया था।
सोल की अदालत ने 66 वर्षीय पार्क को अपनी दोस्त चोई सून सिल के साथ सांठगांठ करके उनके परिवार तथा उनके गैर लाभकारी संस्थानों को अरबों वोन का लाभ पहुंचाने का दोषी पाया।
पीठासीन न्यायाधीश किम मून सुक ने कहा, 'राजनीतिक तथा वित्तीय शक्तियों के बीच इस तरह के अनैतिक व्यवहार लोकतंत्र की मूल धारणा को नुकसान पहुंचाते हैं तथा बाजार की अर्थव्यवस्था में विकृतियां पैदा करते हैं। इससे लोगों को भारी नुकसान तथा समाज में अविश्वास पैदा होता है। इस वजह से सख्त सजा दिया जाना अनिवार्य है।'
अदालत ने सत्ता का गलत इस्तेमाल, रिश्वत और तानाशाही का दोषी पाए जाने के बाद पूर्व सैन्य तानाशाह की बेटी पार्क को 20 अरब वोन का जुर्माना भरने का भी आदेश दिया।
इससे पहले एक निचली अदालत ने अप्रैल में पार्क को 24 वर्ष कारावास की सजा सुनाई थी लेकिन सरकारी अभियोजकों ने उन्हें और कड़ी सजा देने की मांग करते हुए इस फैसले को चुनौती दी थी।
दक्षिण कोरिया की एक अन्य अदालत ने जुलाई में सरकारी निधि को नुकसान पहुंचाने तथा वर्ष 2016 में संसदीय चुनाव में हस्तेक्षप करने के मामले में दोषी पाए जाने के बाद पार्क को अतिरिक्त आठ वर्ष की सजा सुनाई थी।
गौरतलब है कि पार्क 31 मार्च 2017 से जेल में बंद हैं, लेकिन उन्होंने अदालत में कुछ भी गलत करने से इनकार किया है। वह अपने पिता द्वारा तीन दशक बाद राष्ट्रपति पद छोड़ने के बाद वर्ष 2012 में देश की पहली महिला राष्ट्रपति बनी थीं। (वार्ता)