उल्लेखनीय है कि विक्रमसिंघे ने पिछले हफ्ते भी देश में आपातकाल लागू किया था, जब राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे श्रीलंका में जारी विरोध प्रदर्शनों के चलते देश छोड़कर चले गए थे। हालांकि, इस आपातकाल की घोषणा आधिकारिक तौर पर नहीं की गई थी। इस आपातकाल के विशेष प्रावधानों में लोगों को गिरफ्तार करने और हिरासत में लेने, निजी संपत्ति की तलाशी लेने और सार्वजनिक विरोध को कम करने के लिए सेना को तैनाती शामिल थे।
रविवार देर रात, 15 जुलाई को देश के कार्यवाहक राष्ट्रपति बने रानिल विक्रमसिंघे ने फिर से आपातकाल की घोषणा कर दी, जिसके विशेष प्रावधानों की घोषणा अभी सरकार द्वारा नहीं की गई है।
श्रीलंका में आर्थिक संकट बरकरार है। इसी बीच सबसे बड़ा सवाल ये सामने आ रहा है कि श्रीलंका का पूर्णकालिक राष्ट्रपति कौन बनेगा? देखा जाए तो राजपक्षे के सहयोगी के रूप में माने जाने वाले छह बार के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे श्रीलंका के पूर्णकालिक राष्ट्रपति पद के लिए शीर्ष दावेदारों में से एक हैं। लेकिन, देश की एक बड़ी आबादी उन्हें इस पद पर आसीन नहीं देखना चाहती। ऐसे में अगर वे राष्ट्रपति बनते हैं तो देश में अशांति पुनः बढ़ने की संभावना है।