दावोस। केंद्रीय वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु ने विश्व आर्थिक मंच सम्मेलन में कहा कि भारत सरकार धार्मिक आधार पर भेदभाव नहीं करती है और सभी नागरिकों के पास समान अधिकार हैं। 'विश्व में भारत की भूमिका' सत्र में प्रभु ने इस बात पर बुधवार को जोर दिया कि आर्थिक वृद्धि से सभी को फायदा होना चाहिए।
यदि सरकार किसी विशेष समुदाय के खिलाफ होती तो वह तीन तलाक विधेयक ही क्यों लाती? उन्होंने कहा कि अगर हम मुस्लिमों के खिलाफ होते तो हम संसद में तीन तलाक विधेयक लाने की सोचते भी नहीं। आप मुस्लिमों की बात करते हैं तो वह आबादी के 14 प्रतिशत की बात होती है और इसमें 7 प्रतिशत महिलाएं हैं।
यदि हम किसी समुदाय के खिलाफ होते तो एक खासी बड़ी आबादी को अपने से दूर करने की कीमत पर भी महिलाओं को सुरक्षित करने वाला ऐसा विधेयक क्यों लाते? प्रभु ने कहा कि हम किसी भी धर्म को चुनाव के समय इस्तेमाल करने के बारे में नहीं सोचते।
हम इस चीज में यकीन नहीं करते कि लोगों का एक खास वर्ग हमारे लिए ही वोट करे। सत्र का संचालन कर रहे अमेरिकी पत्रकार फरीद जकारिया के यह पूछने पर कि क्या भारतीय जनता पार्टी ने भारतीय मुस्लिमों को चुनावी लाभ के लिए हाशिए पर डाल दिया है?
प्रभु ने कहा कि मैं यह कहना चाहूंगा कि यह पहली सरकार है, जो धर्म के आधार पर लोगों में भेदभाव नहीं करती। हम इस बात में यकीन रखते हैं कि देश के सभी नागरिकों को समान अधिकार मिलें। उनके बीच धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं होना चाहिए। (भाषा)