देश की सैन्य तानाशाही के खिलाफ अपने लंबे संघर्ष के कारण 1991 में नोबेल शांति पुरस्कार पाने वाली सू की को साहसी नेतृत्व और निरंकुशता का विरोध करने के दौरान व्यक्तिगत बलिदान देने, बर्मा (म्यांमार) के लोगों की आजादी तथा सम्मान के लिए लड़ने के लिए 6 साल पहले हॉलोकास्ट म्यूजियम एली विसेल पुरस्कार दिया गया था।
संग्रहालय ने सू की को भेजे पत्र में कहा है कि सभी की भांति उन्होंने भी रोहिंग्या मामले में सू की से कार्रवाई की आशा की थी, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। यहां तक कि उनके राजनीतिक दल ने संयुक्त राष्ट्र के जांचकर्ताओं के साथ सहयोग करने से भी मना कर दिया। (भाषा)