अगर 4 साल उम्र बढ़ाना चाहते हैं तो मान लीजिए ये 5 बातें...

सोमवार, 13 अगस्त 2018 (21:25 IST)
भारत जैसे देश में यदि लोग अपनी उम्र के औसतन चार साल और बढ़ाना चाहते हैं तो उसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की सिर्फ पांच बातें मान लेनी चाहिए। डब्ल्यूएचओ ने हाल ही के अध्ययन में यह निष्कर्ष निकाला है कि महज वायु गुणवत्ता को यदि भारतीय पूरा कर लेते हैं तो ज्यादा साल जी सकते हैं। आखिर वे कौनसी 5 बातें हैं, जिनके कारण आम आदमी चार साल और जी सकता है...
 
 
1. हर साल आ सकता है 500 अरब अमेरिकी डॉलर का भार : विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा किए गए अध्ययन का मानना है कि भारत में लाखों लोग बीमार और संक्षिप्त जीवन जी रहे हैं। सिर्फ परिवेश वायु प्रदूषण से भारत पर प्रति वर्ष 500 अरब अमेरिकी डॉलर का भार आ सकता है। 
 
2. अतिरिक्त उत्सर्जन के लिए शुल्क : शोधकर्ताओं के एक समूह ने इस मुद्दे से पार पाने के लिए कई कदम उठाने का सुझाव दिए है। इसमें अतिरिक्त उत्सर्जन के लिए शुल्क लगाना भी शामिल है। अध्ययन में कहा गया है कि अगर देश डब्ल्यूएचओ के वायु गुणवत्ता मानकों को पूरा करता है तो भारतीय औसतन करीब साल और अधिक अपनी उम्र के बढ़ा लेंगे।
 
3. ये हैं गुणवत्ता के मानक : डब्ल्यूएचओ के गुणवत्ता मानकों के तहत, सूक्ष्म कण पदार्थ (पीएम 2.5) के लिए 10 माइक्रोग्राम/घन मीटर वार्षिक माध्य (मीन) और 25 माइक्रोग्राम/घन मीटर 24 घंटे का माध्य होना चाहिए जबकि मोटे कण पदार्थ (पीएम 10) के लिए 20 माइक्रोग्राम/घन मीटर वार्षिक माध्य और 50 माइक्रोग्राम/घन मी 24 घंटे का माध्य होना चाहिए।
 
4. पांच प्रमुख साक्ष्य-आधारित नीतिगत सिफारिशें : शिकागो विश्वविद्यालय के एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट ने एक वक्तव्य में कहा कि भारत की वायु गुणवत्ता में सुधार में मदद के लिए, शिकागो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं और हार्वर्ड केनेडी स्कूल ने 'ए रोडमैप टुवार्ड्स इंडियाज एयर' शीर्षक से एक नई रिपोर्ट में पांच प्रमुख साक्ष्य-आधारित नीतिगत सिफारिशें की हैं।
 
5. 66 करोड़ से अधिक भारतीयों की हालत खराब : अध्ययन में कहा गया है कि 66 करोड़ से अधिक भारतीय ऐसे क्षेत्रों में रहते हैं जो सूक्ष्म कण पदार्थ (पीएम 2.5) के सुरक्षित संपर्क के लिए माने जाने वाले देश के मानक से अधिक है। यही कारण है कि भारत में लोगों की उम्र घटती जा रही है। रफीक हरीरी विश्वविद्यालय की प्रोफेसर और हार्वर्ड केनेडी स्कूल में एविडेंस फॉर पॉलिसी डिजाइन (ईपीओडी) में सह निदेशक रोहिणी पांडे ने कहा कि प्रदूषण की आर्थिक लागत बहुत अधिक है और इसका कोई आसान समाधान नहीं है। हम फिलहाल हम समूचे भारत में हो रहे नवाचारों के प्रयोग के मद्देनजर आशान्वित हैं।

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