चेन्नई सुपरकिंग्स के तीसरे आईपीएल खिताब के 'मास्टरमाइंड' रहे महेन्द्र सिंह धोनी

Webdunia
सोमवार, 28 मई 2018 (20:08 IST)
मुंबई। चेन्नई सुपरकिंग्स 2 साल के निलंबन के बाद जब आईपीएल-11 में लौट रहे थे तो किसी को उम्मीद नहीं थी कि यह टीम खिताब जीत पाएगी। लेकिन चेन्नई टीम के मास्टरमाइंड महेन्द्र सिंह धोनी ने अनहोनी को होनी कर दिखाया।
 
 
धोनी चेन्नई के निलंबन के दौरान 2 साल राइजिंग पुणे सुपरजॉएंट्स टीम की तरफ से खेले थे। पहले वर्ष उन्हें कप्तान बनाया गया था लेकिन दूसरे वर्ष उनसे कप्तानी छीनकर ऑस्ट्रेलिया के स्टीवन स्मिथ को पुणे की कप्तानी दी गई थी। चेन्नई ने निलंबन से लौटने के बाद सबसे पहला काम यही किया कि धोनी को रिटेन किया जाए और उन्हें फिर से कप्तान बनाया जाए।
 
दुनिया के सर्वश्रेष्ठ फिनिशर धोनी ने टीम की कप्तानी संभाली और उसे विजेता बनाकर ही दम लिया। सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में खेले गए फाइनल में धोनी हर लिहाज से अपने विपक्षी कप्तान केन विलियमसन पर भारी पड़े। धोनी हालांकि लक्ष्य का पीछा करते हुए बल्लेबाजी करने नहीं उतरे लेकिन उनकी रणनीति हर जगह साफ नजर आई।
 
हैदराबाद ने 6 विकेट पर 178 रन का चुनौतीपूर्ण स्कोर बनाया और जिस तरह की बेहतरीन गेंदबाजी विलियमसन के पास थी उसे देखते हुए चेन्नई के लिए लक्ष्य का पीछा करना बहुत मुश्किल माना जा रहा था। भुवनेश्वर कुमार का पहला ओवर मेडन पड़ा और 5 ओवर तक चेन्नई का स्कोर 20 रन था। इस समय तक सभी यह मान रहे थे कि चेन्नई के लिए राह मुश्किल हो रही है लेकिन यहीं से धोनी की रणनीति सबके सामने आ गई।
 
धोनी का प्लान साफ था कि हैदराबाद के सबसे खतरनाक और सटीक गेंदबाज भुवनेश्वर के शुरुआती ओवरों को निकाल लिया जाए। इस मैच में नाबाद मैच विजयी शतक बनाने वाले शेन वॉटसन ने भुवनेश्वर को काफी सावधानी के साथ खेला। पिछले मुकाबले में भुवनेश्वर ने वॉटसन को खाता खोलने का मौका दिए बिना 5 गेंदों में आउट कर दिया था।
 
वॉटसन जानते थे कि उन्हें भुवनेश्वर के ओवरों को निकालना है। विलियमसन ने भी दबाव देखते हुए भुवनेश्वर से पहले स्पैल में 3 ओवर करा डाले यानी इसके बाद भुवनेश्वर के पास डैथ ओवरों के लिए सिर्फ 1 ओवर बाकी रह गया था। 8वें ओवर में विलियमसन ने अपने तुरूप के पत्ते अफगानी लेग स्पिनर राशिद खान को आक्रमण पर लगाया लेकिन वॉटसन और सुरेश रैना ने राशिद के पहले ओवर में सिर्फ 6 सिंगल लिए।
 
यहां धोनी की रणनीति साफ हो गई थी कि उनके बल्लेबाजों को भुवनेश्वर और राशिद से सतर्क रहना है। राशिद ने दूसरे क्वालीफायर में कोलकाता नाइटराइडर्स को 3 विकेट लेकर ध्वस्त किया था। भुवनेश्वर और राशिद के 4-4 ओवरों में 17 और 24 रन पड़े। लेकिन वॉटसन ने दूसरे तेज गेंदबाजों सिद्धार्थ कौल और संदीप शर्मा को अपना निशाना बनाया और इन दोनों गेंदबाजों के 7 ओवरों में 95 रन पड़े जिसने मैच का रुख चेन्नई के पक्ष में मोड़ दिया।
 
फाइनल के बाद धोनी ने कहा कि फाइनल तक पहुंचते-पहुंचते हर खिलाड़ी को अपने खेल के बारे में पता होता है। हमने पहले फील्डिंग की और उसी हिसाब से योजना भी बनाई थी। इसके अलावा हमारे बल्लेबाजों ने कमाल का खेल दिखाया। लेकिन हमें पता था कि हैदराबाद के पास जितने राशिद खान खतरनाक हैं, उतने ही भुवनेश्वर कुमार हैं इसलिए हमने इन दोनों गेंदबाजों को सावधानी के साथ खेला।
 
विलियमसन लेग स्पिनर राशिद को 2 दाएं हाथ के बल्लेबाजों के लिए बचाकर रखना चाहते थे जिनमें से संभवत: एक धोनी थे जिन्होंने राशिद के खिलाफ संघर्ष किया था। लेकिन धोनी ने वॉटसन के साथ बाएं हाथ के बल्लेबाज सुरेश रैना को उतारकर राशिद को वैसा विध्वंस मचाने का मौका ही नहीं दिया, जो उन्होंने कोलकाता के खिलाफ किया था।
 
रैना जब आउट हुए तो दूसरे विकेट के लिए 100 रन से ऊपर की साझेदारी हो चुकी थी। धोनी की योजना कामयाब हो गई थी और विलियमसन अपने गेंदबाजों के इस्तेमाल के मामले में इस बार मात खा गए। वे जब भुवनेश्वर को दोबारा आक्रमण पर लाए, तब तक बाजी हाथ से निकल गई थी। संदीप के 4 ओवर में 52 रन और सिद्धार्थ के 3 ओवर में 43 रन ने फाइनल हैदराबाद की पकड़ से बाहर निकाल दिया।
 
धोनी की रणनीति के अलावा चेन्नई को तीसरी बार चैंपियन बनाने का श्रेय वॉटसन को भी जाता है जिन्होंने 57 गेंदों में नाबाद 117 रन की सूझबूझभरी पारी खेली। चेन्नई ने इस सत्र में हैदराबाद को 4 मुकाबलों में चारों बार हराया। धोनी अपनी रणनीति को लेकर पूरी तरह स्पष्ट थे और उन्होंने टॉस जीतते ही क्षेत्ररक्षण का फैसला कर लिया था।
 
लक्ष्य का पीछा करते हुए रैना का विकेट गिरा तो धोनी मैच को फिनिश करने के लिए खुद भी बल्लेबाजी करने में ऊपर आ सकते थे लेकिन उन्होंने अंबाती रायुडू को ऊपर भेजा और वॉटसन ने रायुडू के साथ 9 गेंद पहले ही फाइनल का निपटारा कर दिया। (वार्ता)

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