नई दिल्ली। ट्विटर ने शनिवार को आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और अन्य वरिष्ठ पदाधिकारियों के अकाउंट से ब्लू टिक हटा दिया और सोशल मीडिया पर संघ के शुभचिंतकों के रोष व्यक्त करने के बाद इसे बहाल कर दिया गया।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की दिल्ली इकाई के पदाधिकारी राजीव तुली ने कड़ी आपत्ति जताते हुए पीटीआई को बताया कि यह ट्विटर द्वारा साफ तौर पर भेदभाव और प्रौद्योगिकी सामंतवाद का स्पष्ट उदाहरण है।
उन्होंने ऐसे कई ट्विटर अकाउंट का हवाला दिया जो निष्क्रिय है लेकिन उनका ब्लू टिक बरकरार है। संघ के सूत्रों ने बताया कि सत्तारूढ़ भाजपा के मार्गदर्शक आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारियों से जुड़े पांच अकाउंट से सत्यापन बैज ब्लू टिक को हटा लिया गया।
बाद में भागवत, सुरेश सोनी, अरुण कुमार, सुरेश जोशी और कृष्ण गोपाल के अकाउंट के ब्लू टिक को बहाल कर दिया गया। तुली ने कहा कि काफी मशक्कत के बाद इसे बहाल कर दिया गया। इससे पहले दिन में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू के निजी अकाउंट के ब्लू टिक को हटा दिया गया और फिर उसे बहाल कर दिया गया।
भागवत के ट्विटर पर 2 लाख से ज्यादा फॉलोवर हैं। ब्लू टिक हटाने से किसी भी व्यक्ति का ट्विटर अकाउंट अनवैरिफाइड हो जाता है। ट्विटर ने कई अन्य संघ नेताओं के ट्विटर अकाउंट से भी ब्लू टिक हटा दिया था।
सरकार और ट्विटर के बीच सोशल मीडिया गाइडलाइंस को लेकर काफी दिनों से विवाद चल रहा है। ट्विटर और ट्विटर इंडिया के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में हाल ही याचिका भी दायर की गई है।
वकील अमित आचार्य द्वारा लगाई गई याचिका में कहा गया है कि ट्विटर और ट्विटर इंडिया भारत सरकार की ओर से बनाए गए आईटी रूल्स 2021 का उल्लंघन कर रहे हैं।
खातों का एक्टिव होना जरूरी : बैज ब्लू के लिए ट्विटर ने 6 तरह के खातों की पहचान की है, जिसमें 1) सरकार, 2) कंपनियां, ब्रांड और गैर-लाभकारी संगठन, 3) समाचार, 4) मनोरंजन, 5) खेल, 6) सामाजिक कार्यकर्ता, आयोजक और अन्य प्रभावशाली व्यक्ति शामिल हैं। ब्लू वैरिफाइड बैज (ब्लू टिक) का सीधा अर्थ यह है कि वह अकाउंट जनहित से जुड़ा और वास्तविक है। किसी भी व्यक्ति को ब्लू टिक को हासिल करने के लिए ट्विटर अकाउंट का सक्रिय रहना जरूरी है। (इनपुट भाषा)