Jagannath Rath Yatra 2024 : कहते हैं कि यहां पर भगवान कृष्ण साक्षात अपनी बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के साथ विराजमान हैं। द्वापर में द्वारिका और कलयुग में यही उनका स्थान है। यहां पर भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा में शामिल होने के लिए देश विदेश से लाखों भक्त आते हैं। प्रतिवर्ष आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि में को यात्रा निकाली जाती है। इस बार 07 जुलाई 2024 रविवार को यह रथ यात्रा निकलेगी। अभी से ही इस यात्रा की तैयारियां शुरू हो गई है और यदि आप भी शामिल होना चाहते हैं तो जानें कि कैसे करें प्लान।
इसके लिए आपको कुछ भी नहीं करना पड़ता है। कोई भी व्यक्ति रथ यात्रा में शामिल हो सकता है। मान्यता है कि जो भी भक्त इस शुभ रथयात्रा में सम्मिलित होते हैं उन्हें 100 यज्ञों के समान पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
क्या है रथ खींचने के नियम?
रथ यात्रा में तीन रथ होती हैं। एक जगन्नाथजी का, दूसरा बलरामजी का और तीसरा सुभद्रा जी का। तीनों रथों को खींचकर 3 किलोमीटर दूर गुंडिचा मंदिर ले जाया जाता है जहां भगवान 10 दिनों तक आराम करने के बाद 11वें दिन पुन: जगन्नाथ मंदिर लौट आते हैं। भगवान जगन्नाथ के रथ को खींचने को लेकर कोई भी नियम नहीं है। किसी भी धर्म, जाति, प्रांत या देश का व्यक्ति रख खींच सकता है। इसे कोई भी भक्त खींच सकता है। क्रम से सभी रथ की रस्सी को खींचते हैं। माना जाता है कि भगवान जगन्नाथ का रथ खींचने वाला जीवन काल के चक्र से मुक्त हो जाता है।
कैसे करें जाने की तैयारी :
1. यदि आप उड़ीसा से बाहरर रहते हैं तो आपको अभी से वहां पर ठहरने का इंतजाम करना होगा। अन्यथा आप परेशान हो जाएंगे क्योंकि वहां पर रहने के सीमित साधन है।
2. आपको पुरी के बाहर में कहीं ठहने का स्थान मिलता है तो उसे हायर कर सकते हैं।
3. जगन्नाथ पुरी में मंदिर के सामने ही समुद्र है इस संपूर्ण क्षेत्र में घुमने के लिए आपको कम से कम 3 दिन का प्लान करना चाहिए।
4. तीन दिन का खर्च कम से कम 4 से 5 हजार का आ सकता हैं।
5. जगन्नाथ मंदिर दर्शन, चिलका वन्यजीव अभयारण्य, अथरनाला ब्रिज, पुरी का गुंडिचा मंदिर और समुद्री तट पर आप जा सकते हैं।
6. यदि आप पुरी से कुछ किलोमीटर दूर कोणार्क मंदिर को देखने का प्लान भी कर रहे हैं तो 1 दिन और आपको रुकना होगा।
7. रथ यात्रा के दौरान बहुत भीड़ होती है। ऐसे में आप यदि अपने परिवार के साथ जा रहे हैं तो सुरक्षा का भी ध्यान रखें।
8. बच्चों के साथ जा रहे हैं तो हमारी सलाह है कि आप यात्रा के दर्शन दूर से ही करें बाद में मंदिर में भगवान जगन्नाथ के दर्शन करें।
9. पूरी में आप पहले दिन जगन्नाथ मंदिर के दर्शन करें और रथयात्रा का आनंद लें। दूसरे दिन गुंडिचा मंदिर जा सकते हैं। तीसरे दिन समुद्र का आनंद ले सकते हैं।
जगन्नाथ पुरी का किराया कितना है? पुरी कैसे पहुंचें?
- पुरी पहुंचने के लिए सड़क, रेलवे और हवाई तीनों मार्ग उपलब्ध है।
- देश के हर बड़े शहरों से पुरी का रेलवे स्टेशन जुड़ा हुआ है। यहां पर आप सड़क मार्ग से भी पहुंच सकते हैं।
- आपके शहर से डायरेक्ट पुरी के लिए कोई ट्रेन उपलब्ध नहीं है तो आप भुवनेश्वर ट्रेन से पहुंचकर पुरी के लिए ट्रेन पकड़ सकते हैं।
- भुवनेश्वर से पुरी की दूरी मात्र 60 किलोमीटर और पूरी रेलवे स्टेशन से जगन्नाथ मंदिर की दूरी मात्र 2 किलोमीटर है।
- यदि आपका पुरी तक पहुंचने का माध्यम हवाई जहाज है तो इसका नजदीकी एयरपोर्ट भुवनेश्वर है।
- भुवनेश्वर और पुरी का रेलवे स्टेशन कई शहरों से जुड़ा है। दिल्ली, लखनऊ, इंदौर, बैंगलुरू, कलकत्ता, रायपुर, रांची, पटना, वाराणसी जैसे कई शहरों की डायरेक्ट ट्रेन सेवा पुरी और भुवनेश्वर तक के लिए मिल सकती है।
- कलकत्ता, रायपुर, पटना, रांची, भोपाल जैसे करीबी राज्यों की राजधानी से डायरेक्ट बस सेवा भुवनेश्वर और पुरी के लिए मिल सकती है।
पुरी में कहां पर ठहरें?
पुरी जगन्नाथ मंदिर क्षेत्र में ठहरने के लिए 4 विकल्प हैं- 1.मंदिर ट्रस्ट की तरफ से बने भक्ति निवास, 2.धर्मशाला 3. प्राइवेट होटल और 4.पूरी का मरीन ड्राइव लाइन। आप अपनी सुविधा और बजट के अनुसार रुकने की व्यवस्था देख सकते हैं। यात्रा में शामिल होने के लिए आ रहे हैं तो पहले से ही जगह को बुक कराना होगा। ऑफिशियल वेबसाइट पर ट्रस्ट के रूम बुक करा सकते हैं।
जगन्नाथ पुरी में कहां रुके?
टूरिस्ट स्पॉट होने के कारण जगन्नाथ पुरी में कई होटल और धर्मशाला मिल जाएंगे।
जगन्नाथ मंदिर के आस पास ठहरने के लिए कई सस्ते और अच्छे होटल हैं। यहां होटलों में रहने के लिए आपको 500 से 2000 रुपये तक का किराया देना होता है।
यदि आप मंदिर के पास बने धर्मशाला में ठहर रहे हैं तो आपको 200 से 500 रुपय रुपये तक का किराया देना होता है।