जम्मू। कश्मीर से एक खुशखबरी है। विश्वप्रसिद्ध डल झील के पानी को अब करीब 7 वर्ग किमी का अतिरिक्त खुला क्षेत्र मिल गया है, हालांकि इसके वर्तमान के 25 वर्ग किमी के क्षेत्र में से अभी भी 5 वर्ग किमी पर अतिक्रमण है और अभी भी डल झील के क्षेत्रफल को लेकर विवाद कायम है।
लेकिन दूसरी ओर कश्मीर के झील संरक्षण और प्रबंधन प्राधिकरण विभाग को खुशी इस बात की है कि वह पिछले 3 सालों के भीतर इसके करीब 7 वर्ग किमी क्षेत्र में से गाद, लिली के पौधों व अन्य प्रकार के पेड़ों को हटाने में कामयाब रहा है।
दरअसल, डल झील को 'लाइव लेक' के तौर पर भी जाना जाता है जिसमें कई किस्मों की वनस्पतियां समय समय-समय पर उग आती हैं और ये पानी के खुले क्षेत्रफल को निगल जाती हैं। प्राधिकरण के वाइस चेयरमैन बशीर अहमद बट के बकौल, एक लंबे अरसे से यह वनस्पतियां इतनी हो चुकी थीं कि इसने झील के 7 वर्ग किमी से अधिक के क्षेत्र को खत्म ही कर दिया था।
वे कहते थे कि अब इसके पानी को 20.3 वर्ग किमी का क्षेत्र इसलिए मिल पाया है, क्योंकि विभाग की अथक मेहनत के बाद 7 वर्ग किमी के क्षेत्र से इन वनस्पतियों व गाद को साफ कर डल झील की खोई हुई आभा लौटाई गई है। हालांकि उनका कहना था कि झील का पूरा क्षेत्रफल कभी भी 25 वर्ग किमी से आगे नहीं बढ़ा है।
दरअसल, पिछले एक अरसे से डल झील के क्षेत्रफल को लेकर कई विवाद पैदा हुए थे। कहा यह भी जाता रहा है कि एक समय पर इसका क्षेत्रफल 101 वर्ग किमी था और वर्ष 1950 से लेकर 1998 तक के अरसे में यह घटकर 12.5 वर्ग किमी रह गया था।
हालांकि विभाग का दावा है कि जब सर वॉल्टर लॉरेंस ने करीब 100 साल पहले इसका नाप लिया था तो यह 18.5 वर्ग किमी थी। फिलहाल इसके क्षेत्रफल को लेकर छिड़े विवाद में इसे भूला नहीं जा सकता कि अभी भी विभाग के अनुसार 5 किमी का क्षेत्रफल विभिन्न प्रकार के अतिक्रमण से जूझ रहा है।
चिल्लैखुर्द की विदाई के साथ अपना रंग दिखाने लगा मौसम कश्मीर में: कश्मीर में भयानक सर्दी के मौसम के दूसरे भाग 'चिल्लैखुर्द' की आज सोमवार को विदाई है अर्थात अंतिम दिन। अब कल मंगलवार से चिल्लै बच्चा के 10 दिन आरंभ हो जाएंगे, फिर कश्मीर में सर्दी के मौसम के खात्मे की घोषणा।
पर बुरी खबर यह है कि चिल्लैखुर्द की विदाई से 2 दिन पहले ही मौसम जो रंग दिखा रहा है, वह चिंताजनक है।
चिंता की बात तापमान में होने वाली अप्रत्याशित वृद्धि है। मौसम विभाग के बकौल श्रीनगर में ही तापमान सामान्य से 4.4 डिग्री अधिक है और सर्दियों की राजधानी जम्मू में भी यही हाल है।
सबसे ज्यादा चिंता की बात गुलमर्ग के पहाड़ों से आने वाली खबर है, जहां तापमान समान्य से 8 डिग्री ऊपर पहुंच गया है। हालांकि आज हल्की बर्फबारी और बारिश की भविष्यवाणी है, पर पर्यटकों के लिए चिंता यह है कि वे गुलमर्ग के कई हिस्सों से बर्फ को गायब पा रहे हैं।
गुलमर्ग की ढलानों पर स्कीइंग सिखाने वाले भी परेशान हैं जिनके बकौल, गर्म मौसम की मार बर्फ पर पड़ने के कारण बर्फ तेजी से पिघल रही है। अब अगले महीने से श्रीनगर में ट्यूलिप गार्डन को खोलने की तैयारी हो रही है। पिछले साल भी इसके फूल समय से पहले मुरझा गए थे। पर इसके प्रति इस बार परेशानी यह है कि चिल्लैखुर्द की विदाई के पहले ही तापमान के उछाले मारने के कारण फूलों के खिलने पर संदेह उत्पन्न होने लगा है।
दरअसल, कश्मीर में सर्दी के 40 दिनों में भयानक सर्दी का अनुमान लगाया जाता रहा है। यह 21 और 22 दिसंबर की रात से शुरू होते हुए 1 मार्च तक चलता है जिसमें पहले 20 दिनों को चिल्लैकलां कहा जाता है जिसमें भयानक सर्दी पड़ती है और अगले 10 दिनों को चिल्लैखुर्द जबकि अंतिम 10 दिन चिल्लै बच्चा होता है जिसमें सर्दी बहुत कम ही महसूस होती है। पर इस बार मौसम की दगाबाजी यह रही है कि भयानक सर्दी तो पहले 20 दिनों में हुई, पर उतनी बर्फ नहीं गिरी जितनी चाहिए थी। इसे अल नीनो और ग्लोबल वॉर्मिंग का प्रभाव बताया जाने लगा है।