चर्चित मुद्दा: कश्मीर में टारगेट किलिंग और कश्मीरी पंडितों का पलायन मोदी-शाह की जोड़ी के सामने सबसे बड़ा चैलेंज?

विकास सिंह

शनिवार, 4 जून 2022 (14:00 IST)
कश्मीर घाटी में हालात हर नए दिन के साथ खराब होते जा रहे है। आतंकियों के निशाने पर एक बार फिर कश्मीरी पंडित और गैर-कश्मीरी है। घाटी के बडगाम जिले के चादूरा में 12 मई को राजस्व कर्मचारी कश्मीर पंडित राहुल भट की हत्या से शुरु हुआ सिलसिला कुलगाम में गैर कश्मीरी बैक मैनेजर विजय कुमार की हत्या तक पहुंच गया है। लगातार टारगेट किलिंग से कश्मीरी पंडित और गैर कश्मीरी दोनों ही दहशत में है और वह एक बार घाटी छोड़कर पलायन कर रहे है। आज कश्मीर घाटी के हालात किस कदर बिगड़ चुके है इसका प्रमाण इस बात से लगाया जा सकता है कि ऐसे कश्मीरी पंडित परिवार भी अब घाटी छोड़ना चाह रहे है जो 1990 के आतंक दौर के बाद यहां से नहीं गए थे। 
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कश्मीर में लगातार टारगेट किलिंग और कश्मीरी पंडितों के पलायन केंद्र सरकार की लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है। सवाल मोदी सरकार के उस दावे पर भी खड़ा हो गया है जिसमें  सरकार जम्मू कश्मीर से 370 हटाने को अपनी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि बताते हुए शांति व्यवस्था का दावा करती है। 

क्या कश्मीर मोदी-शाह के लिए बड़ा चैलेंज?- कश्मीर में टारगेट किलिंग की बढ़ती घटनाओं को लेकर भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने सीधे गृहमंत्री अमित शाह को निशाने पर लेते हुए गृह विभाग से हटाकर खेल मंत्रालय देने की मांग कर डाली। वहीं घाटी में कश्मीरी पंडितों के पलायन को लेकर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बीजेपी सरकार पर निशाना साधा है। ओवैसी ने कहा कि सरकार एक फिल्म के प्रमोशन में लगी हुई है और यह कश्मीरी पंडितों को राजनीतिक वोटों की तरह देखती है, इंसानों की तरह नहीं। यह कश्मीरी पंडितों का तीसरा पलायन हो रहा है। इसका ज़िम्मेदार कौन है? यह भाजपा का खुला नाकामी का सबूत है।
 
श्रीनगर में रहने वाले बीबीसी के पूर्व संवाददाता और वरिष्ठ पत्रकार पत्रकार अल्ताफ हुसैन ‘वेबदुनिया’ से बातचीत में कहते हैं कि कश्मीर घाटी के वर्तमान हालात से सीधे गृहमंत्री अमित शाह की परफॉर्मेस पर प्रश्नचिन्ह लग गया है। पिछले दिनों भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी का गृहमंत्री अमित शाह को बतौर होम मिनिस्टर नाकाम बताना गृह विभाग से हटाकर स्पोर्टस मिनिस्टर मनाने की मांग इसका सबसे बड़ा प्रमाण है। 
कश्मीर घाटी को बीते कई दशक से कवर कर रहे है वरिष्ठ पत्रकार अल्ताफ हुसैन कहते हैं कि केंद्र सरकार जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने के बाद सब कुछ ठीक करने का जो दावा कर रही थी अब उस पर सवालिया निशान लग गया है। भाजपा 370 हटाने के अपने फैसले को चुनावी मंचों पर भी यह कह कर भुनाने थी कि कश्मीर में सब कुछ सामान्य है और शांति है, आज वह सारे दावे गलत हो रहे है औऱ यहीं मोदी-शाह के जोड़ी के सामने सबसे बड़ी चुनौती है। 
 
टारगेट किलिंग क्यों केंद्र सरकार के लिए बड़ी चुनौती?- कश्मीर के वर्तमान हालात को अपनी आंखों से देखने वाले कश्मीर पंडित और स्थानीय पत्रकार 1990 की तुलना में हालात को ज्यादा खराब बता रहे है। टारगेट किलिंग के डर से पलायन करने को मजबूर हुए ट्रांजिट कैंप में पिछले 12 साल से रहने वाले सरकारी कर्मचारी संदीप रैना कहते हैं कि घाटी के हालात 1990 से ज्यादा खराब है। 1990 के स्थानीय मुस्लिम को पता होता था कि क्या हो रहा है और वह शायद बचा भी लेता था लेकिन आज किसी को पता नहीं है। 
 
वहीं बारामूला में स्थानीय कोर्ट में काम करने वाले सरकारी कर्मचारी टीएन पंडित कहते हैं कि 1990 के तुलना में आज के हालात ज्यादा खतरनाक है। टारगेट किलिंग करने वाले भी स्थानीय है लेकिन हर कोई इनके साथ नहीं है। कश्मीर घाटी में रहने वाले अधिकांश मुस्लिम समुदाय को खुद नहीं समझ में आ रहा है कि आखिरी घाटी में हो क्या रहा है। 
 
श्रीनगर में रहने वाले वरिष्ठ पत्रकार अल्ताफ हुसैन कहते हैं कि आज कश्मीर मोदी सरकार के लिए कितना बड़ा चैलेंज हो गया है इसको इससे समझा जा सकता है कि आज के हालात में वह लोग भी पलायन की बात कर रहे है जो 1990 में पलायन नहीं किए थे। यह लोग पहली बार कह रहे है कि यहां से अब निकलना ही ठीक है और यह मोदी सरकार का सबसे बड़ा फेल्यिर और चुनौती  है। इसके साथ-साथ वहीं इसके साथ वो लोग भी कश्मीर घाटी छोड़कर जा रहे है जो  मनमोहन सरकार के समय दिए गए प्राइम मिनिस्टर पैकेज पर घाटी वापस आए थे। 

कश्मीर घाटी का माहौल क्यों बिगड़ा- 32 साल बाद कश्मीर में टारगेट किलिंगि की घटना के बाद बड़े पैमाने पर कश्मीर पंडित आज पलयान को मजबूर है। कश्मीर घाटी में लगातार कश्मीरी पंडितों के टारगेट पर होने की वजह पर कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति के नेता संजय टिक्कू ‘वेबदुनिया’ से बातचीत में कहते है कि घाटी में कश्मीर पंडितों के खिलाफ जो नफरत बढ़ी है उसके पीछे पिछले दिनों आई फिल्म कश्मीर फाइल्स और आर्टिकल 370 को हटाया जाना एक बड़ी वजह है। वह कहते हैं कि आज घाटी में जिनके हाथ में बंदूक है वह कश्मीर पंडित को ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाने की कोशिश करेंगे। उनका एकमात्र एजेंडा है कि घाटी कश्मीर पंडितों से खाली हो जाए।
 
हाइब्रिड आतंकवाद से निपटने की चुनौती- कश्मीर घाटी में कश्मीरी पंडितों के खिलाफ टारगेट किलिंग में हाइब्रिट आतंकवाद की बात समाने आ रही है। दरअसल हाइब्रिड आतंकवाद आतंक का वह चेहरा है जिसमें आतंकी भीड़ के बीच आते है और रिवॉल्वर से टारगेट को साध कर फिर माहौल में घुल मिल जाते है।  तीन दशर से अधिक समय से कश्मीर पंडितों की आवाज उठाने वाले संजय टिक्कू कहते हैं कि घाटी में अभी जो आतंक है उसका कोई चेहरा नहीं (Faceless) है,कभी कोई आतंकी संगठन वारदात को अंजाम दे जाता है कभी कोई आतंकी संगठन। वहीं घटनाओं को पाकिस्तान में बैठे आतंक के मास्टरमाइंड से जोड़ दिया जाता है। 
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संजय टिक्कू कहते हैं कि भले ही आतंक का मास्टरमाइंड पाकिस्तान में बैठा हो लेकिन आतंकियों का एक नेक्सस (nexus) घाटी में भी है और जब तक यह नेक्सस (nexus) नहीं टूटेगा तब तक कश्मीर के हालात खासकर कश्मीर पंडित के लिए हालात बिल्कुल नहीं बदलेंगे और कश्मीर पंडित निशाना बनते रहेंगे।

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