हिन्दू परिवारों में बच्चों को उनके बचपन से ही भगवान के पूजन और उनके रूप का ज्ञान दिया जाने लगता है। घर में दादी-नानी की कहानियां और धार्मिक कर्मकांडों की बच्चों के मानसिक विकास में अहम भूमिका रही है। यहां पढ़ें सात बहनों की कहानी-
जब मैं और छोटा था तब मेरी दादी यह कहानी सुनाया करती थी।
एक बार की बात है। सात बहनें थी। छः बहनें पूजा-पाठ करती थीं लेकिन सातवीं बहन नहीं। एक बार गणेशजी ने सोचा मैं इन सात बहनों की परीक्षा करता हूं। वे साधु के रूप में आए और दरवाजा खटखटाया।
पहली बहन से गणेशजी ने कहा- मेरे लिए खीर बना दो, मैं बड़ी दूर से आया हूं। उसने मना कर दिया। ऐसे छः बहनों ने मना कर दिया लेकिन सातवीं बहन ने हां कह दी। उसने चावल बीनना शुरू किए और फिर खीर बनाना शुरू की।
अधपकी खीर उसने चख भी ली फिर साधु महाराज को खीर दी। साधु ने कहा- तुम भी खीर खा लो। सातवीं बहन ने कहा मैंने तो खीर बनाते-बनाते ही खा ली है।
गणेशजी अपने पहले वाले रूप में आए और कहा, 'मैं तुम्हें स्वर्ग ले जाऊंगा'। बहन ने कहा कि मैं अकेले स्वर्ग नहीं जाऊंगी। मेरी छः बहनों को भी ले चलिए। गणेश जी खुश हुए और सबको स्वर्ग ले गए। स्वर्ग में मजे से घूमने के बाद सभी वापस आ गए। कहानी खतम।