राजा ने शंख बजाने की कोशिश की, लेकिन वह शंख एक बार भी नहीं बजा। राजा को शक हुआ और उन्होंने ढपोरशंख से कहा, "अगर यह शंख इतना ही चमत्कारी है, तो इसे तुम ही बजाकर दिखाओ।"....ढपोरशंख ने बड़ी कोशिश की, लेकिन शंख से कोई आवाज नहीं आई। दरबारियों ने ठहाके लगाए और राजा को समझ आ गया कि ढपोरशंख ने उन्हें मूर्ख बनाने की कोशिश की है। राजा ने ढपोरशंख को दरबार से बाहर निकाल दिया और कहा, "जो केवल बातें बनाता है और काम नहीं करता, उसका अंत ऐसा ही होता है।"