एक बार की बात है। एक ग्रामीण लड़का गांव से शहर में पढ़ने के लिए गया। वहां उसने एक ऐसे कमरे की तलाश की जो सस्ता भी हो और जो उसके स्कूल के आसपास भी हो। हालांकि उसे स्कूल के आसपास तो सस्ता रूम नहीं मिला लेकिन करीब 2 किलोमीटर दूर उसे एक ऐसा मकान मिला जहां कोई नहीं रहता था। वह मकान वर्षों से खाली पड़ा था। उसके मकान का मालिक कहीं ओर रहता था।
उस ग्रामीण लड़के जिसका नाम नंदू था उसने सोचा कि यही मकान ले लेते हैं जो सस्ता भी है और यहां थोड़ी शांति भी है तो पढ़ाई में मन लगेगा। यही सोचकर उसने उस मकान में अपना सामान शिफ्ट कर दिया। बहुत थकान हो गई थी और भूख भी लग रही थी जो उसने सोचा कि रोटी बनाने में तो समय लगेगा तो क्यों नहीं मैं आटे का हलवा बना हूं।
उसने झटपट आटे का हलवा बनाकर किचन स्टैंड पर रखा और वह हाथ धोने के लिए वॉशरूम में गया और वहां से आकर वह अपने गिलास में पानी भरने लगा। पानी भरने के बाद जब वह किचन स्टैंड पर गया तो उसने देखा कि उसके हलवे की प्लेट खाली थी। फिर उसने जिस कढ़ाई में हलवा बनाया था उसे भी देखा तो वह भी खाली थी। यह देखकर वह सोचने लगा कि आखिर मेरा हलवा कहां गायब हो गया?
उसने इधर उधर और ऊपर नीचे देखा कि कहीं बिल्ली तो नहीं चट कर गई। लेकिन वहां पर बिल्ली के आने जाने का कोई रास्ता नहीं था। वह सोच में पड़ गया। तब उसने फिर से हलवा बनाया और इसे बार उसने हलवा खाया और बचा हुआ हलवा कढ़ाई में ही यह सोचकर छोड़ दिया कि कल सुबह स्कूल जाते वक्त इसका नाश्ता कर लूंगा।
सुब जब वह उठा तो उसने देखा कि कढ़ाई में रखा हलवा गायब था। अब उसे शंका होने लगी थी। उसे लग रहा था कि हो न हो यहां कोई बिल्ली है या कोई है तो यह हलवा खा जाता है।
स्कूल से लौटकर उसने फिर से हलवा बनाया और इस बार भी ऐसा ही हुआ। इस बार तो हलवा बनाकर रखा ही था और मात्र चम्मच लेने के लिए मुड़ा ही था कि हलवे का पूरा कटोरा गायब हो गया। यह देखकर वह डर गया और अब वह समझ गया था कि यह किसी बिल्ली का काम नहीं हो सकता है। जरूर यहां कोई भूत है।
जैसे-तैसे वह वहां पर चुपचाप सो गया यह सोचकर कि सुबह होते ही वह इस मकान को खाली कर देगा। उसे ऐसी भूतिया जगह पर नहीं रहना है। फिर जब सुबह हुई तो वह अपना बोरिया बिस्तर बांधने लगा। तभी एक ब्रह्मराक्षस उसके सामने प्रकट हो गया। वह डर के मारे कांपने लगा।
ब्रह्म राक्षस ने कहा, तुम डरो मत। मैं तो बस भूखा हूं इसलिए तुम्हारा हलवा खा जाता था। मुझसे डरने की जरूरत नहीं है। मैं तुम्हारा कुछ नहीं अहित नहीं करूंगा। मैं तो वर्षों से भूखा हूं। यहां आसपास कोई रहता भी नहीं है, तुमने जब हलवा बनाया तो उसे खाकर मैं तृप्त हो गया। तुम बहुत ही स्वादिष्ट हलवा बनाते हो।
यह सुनकर नंदू के मन से थोड़ा बहुत डर जाता रहा और फिर नंदू ने कहा कि लेकिन यदि तुम यहां आते रहे और इसी तरह हलवा खाते रहे तो मैं भयभीत भी रहूंगा और इससे मेरी पढ़ाई भी डिस्टर्ब हो जाएगी।
इस पर ब्रह्म राक्षस बोला, तुम्हें इसकी चिंता नहीं करना है। बस तुम मेरे लिए हलवा बना देना और बदले में, मैं तुम्हें पढ़ा दिया करूंगा। मेरा गणित बहुत अच्छा है। मैं परीक्षा में भी तुम्हारी मदद कर दिया करूंगा। यह सुनकर नंदू तो खुश हो गया। इस तरह नंदू ब्रह्मराक्षस के लिए रोज हलवा बनाता और बदले में ब्रह्मराक्षस उसे रोज 2 घंटा पढ़ाता था।
प्रस्तुति: अनिरुद्ध जोशी
डिस्क्लेमर: इस कहानी का उद्देश्य मात्र मनोरंजन है. इसका किसी सत्य घटना या शिक्षा से संबंध नहीं है।