वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि तपेदिक, मलेरिया और दवा प्रतिरोधी एमआरएसए संक्रमण जैसी बीमारियों से जहरीले गुबरैले निपट सकते हैं।
जर्मनी की यूनिवर्सिटी ऑफ वर्जबर्ग विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि गुबरैला चिपचिपा खून जैसे एक पदार्थ का उत्सर्जन करता है जो तपेदिक, एमआरएसए के कीटाणुओं और मलेरिया के परजीवियों से निपटता है।
वैज्ञानिकों ने कहा कि इस नई खोज से नई एंटीबायोटिक का रास्ता तैयार हुआ है। हार्लेक्विन नाम के इस गुबरैले के काटने से एलर्जी हो जाती है। परभक्षियों से खतरा होने पर यह अपने घुटनों के मोड़ से गंध वाले चार रसायनों का मिश्रण उत्सर्जित करती है।
डेली मेल की खबर में बताया गया कि इन रसायनों को ‘रिफ्लेक्स ब्लड’ के नाम से जानते हैं और इनमें से एक शक्तिशाली एंटीबायोटिक होता है।
अपने परीक्षणों में अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि ‘हार्मोनिन’ रसायन पेट वाले ईकोलाइ कीड़े, तपेदिक और एमआरएसए वाले बैक्टिरिया सहित 12 प्रकार के बैक्टीरिया से निपट सकता है। (भाषा)