मीन राशि वालों के लिए सलाह

अक्षर तालिका : दो, दू, दे, थ, झ, चा, ची।
विशेषता : संगीतप्रिय, चरित्रवान, संतोषी, सदाचारी, शांतचित्त, मिलनसार और कार्यकुशल।

 
मीन राशि (Pisces) का स्थान दोनों पाँव में होता है। इसके कारक ग्रह सूर्य, मंगल और गुरु माने गए हैं। जल तत्व प्रधान मीन राशि का स्वामी गुरु है। भाग द्विस्वभाव है और मीन लग्न की बाधक राशि वृषभ तथा बाधक ग्रह शुक्र है, लेकिन लाल किताब अनुसार शत्रु और मित्र ग्रहों का निर्णय कुंडली अनुसार ही होता है।
 
लाल किताब अनुसार बारहवें भाव में मीन राशि मानी गई है जिसके गुरु का पक्का घर दो, पाँच, नौ, ग्यारह और बारह माना जाता है। लाल किताब की कुंडली अनुसार गुरु के खराब या अच्छा होने की कई स्थितियाँ हैं। यदि आप मीन राशि के जातक हैं तो आपके लिए यहाँ लाल किताब अनुसार सामान्य सलाह दी जा रही है।

 
अशुभ की निशानी : सिर पर चोटी के स्थान से बाल उड़ जाते हैं। गले में व्यक्ति माला पहनने की आदत डाल लेता है। सोना खो जाए या चोरी हो जाए। बिना कारण शिक्षा रुक जाए। व्यक्ति के संबंध में व्यर्थ की अफवाहें उड़ाई जाती हैं। आँखों में तकलीफ होना, मकान और मशीनों की खराबी, अनावश्यक दुश्मन पैदा होना, धोखा होना, साँप के सपने। साँस या फेफड़े की बीमारी, गले में दर्द। 2, 5, 9, 12वें भाव में बृहस्पति के शत्रु ग्रह हो या शत्रु ग्रह उसके साथ हो तो बृहस्पति मंदा होता है।
 
 
सावधानी व उपाय : कभी झूठ न बोले। ज्ञान का घमंड न करें। पीपल में जल चढ़ाना। आचरण को शुद्ध रखना। पिता, दादा और गुरु का आदर करना। गुरु बनाना। घर में धूप-दीप देना।

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