भारतीय बैंकों ने विदेशी बैंकों से निर्यातकों के लिए भुगतान गारंटी लेना बंद कर दिया है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री कमलनाथ के समक्ष निर्यातकों ने यह बात रखी है।
कमलनाथ ने कहा कि मैंने निर्यातकों के साथ बैठक की है। बंदरगाहों पर उनका करोड़ों डॉलर का माल पड़ा है, लेकिन भारतीय बैंक विदेशी बैंकों से ऋणपत्र स्वीकार नहीं कर रहे हैं।
कमलनाथ ने कहा कि पूर्व में विदेशी बैंक भी कहते आए हैं कि वे भारतीय बैंकों से लेटर ऑफ क्रेडिट मंजूर नहीं करते। कुछ बैंकों और वित्तीय संस्थानों के धराशायी होने से इन बैंकों के बीच परस्पर विश्वास कम हुआ है।
चार्टर्ड एकाउंटेंट की अंतरराष्ट्रीय बैठक को संबोधित करते हुए कमलनाथ ने कहा कि भारत को आशंका है कि किसी पोत के बंदरगाह पहुँचने तक उन्हें भुगतान नहीं मिलेगा, इसलिए लेटर ऑफ क्रेडिट को भूलने में ही भलाई है।
भारतीय निर्यातकों के लिए अमेरिका और यूरोप बड़े बाजार हैं। अप्रैल-अगस्त अवधि में निर्यात के मामले में 35 प्रतिशत की संचयी बढ़ोतरी देखने को मिली, जबकि कपड़ा, चर्म और हस्तशिल्प जैसे क्षेत्रों पर पश्चिमी बाजारों में ग्राहक खर्च में भारी कटौती का प्रभाव महसूस कर रहे हैं।