नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय के आदेश पर कालेधन पर बने विशेष जांच दल (एसआईटी) ने रिजर्व बैंक (आरबीआई) को निर्देश दिया है कि वह मुद्रा विनिमय, देश से बाहर पड़ी निर्यात की आमदनी तथा आयात के बदले किए अग्रिम भुगतान के बारे में आंकड़े राजस्व विभाग के साथ ऑनलाइन साझा करने के लिए प्रणाली विकसित करे।
वित्त मंत्रालय ने बताया कि एसआईटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एमबी शाह ने पिछले महीने की 11 तारीख को आरबीआई को भेजे एक पत्र में कहा है कि केंद्रीय बैंक राजस्व विभाग के साथ विचार-विमर्श कर एक ऐसी संस्थागत प्रणाली विकसित करे जिस पर विदेशी मुद्रा विनिमय संबंधी लेन-देन, निर्यात के मद में हुए देश से बाहर पड़े भुगतान तथा आयात के मद में किए गए अग्रिम भुगतान के आंकड़े ऑनलाइन साझा किए जा सकें। ये सभी आंकड़े आरबीआई के पास होते हैं। कालाधन का प्रवाह रोकने के लिए एसआईटी ने पहले भी इन्हें महत्वपूर्ण बताया है।
एसआईटी पहले से ही विभिन्न सरकारी विभागों खासकर प्रवर्तन एजेंसियों के बीच सूचनाओं के आदान-प्रदान का पक्षधर रहा है। एसआईटी का मानना है कि ये आँकड़े सिर्फ तभी साझा किये जा सकते हैं जब इसके लिए केंद्रीय आर्थिक खुफिया ब्यूरो की तरह कोई अन्य एजेंसी आंकड़ों के संकलन का काम करे। विभिन्न एजेंसियां शीघ्रतापूर्वक कार्रवाई के लिए प्रासंगिक आंकड़े इस संग्रह से ले सकें। अभी एफईटी-ईआरएस, ईडीपीएमएस और आईडीपीएमएस के आंकड़ों प्रबंधन आरबीआई के पास है।
पत्र के अनुसार एसआईटी का मानना है कि प्रवर्तन निदेशालय, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) और राजस्व खुफिया निदेशालय जैसी नियमन एजेंसियों द्वारा आरबीआई के आंकड़ों का इस्तेमाल काफी महत्वपूर्ण है। एसआईटी पहले भी यह बात उठा चुकी है और उसने आरबीआई को विदेशों में भेजे गए अग्रिम भुगतान के आंकड़े उपलब्ध कराने का निवेदन किया था। उसने एक साल या अधिक से लंबित निर्यात की देश से बाहर पड़ी राशि के लिए भी निवेदन किया था। (वार्ता)