मुख्य रूटों पर महंगा हो सकता है हवाई सफर

रविवार, 19 जून 2016 (18:28 IST)
नई दिल्ली। नई उड्डयन नीति तथा नागर विमानन नियमों में किए गए बदलावों के कारण मौजूदा मुख्य मार्गों पर हवाई सफर महंगा हो सकता है।
नागर विमानन महानिदेशालय ने नागर विमानन नियमन (सीएआर) में बदलाव कर अधिकतम कैंसलेशन शुल्क मूल किराए के बराबर करने तथा टिकट होने के बावजूद ओवर बुकिंग के कारण यात्रियों को बोर्डिंग से मना करने पर हर्जाना बढ़ाकर 20,000 रुपए तक करने का प्रस्ताव किया है।
 
बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि इन बदलावों से कंपनियां मूल किराया बढ़ाने पर विवश होंगी। बाजार सलाह कंपनी केपीएमजी के एयरोस्पेस और रक्षा के भारत प्रमुख अंबर दुबे का कहना है कि कंपनियां मूल किराए में बढ़ोतरी करके संभावित नुकसान की भरपाई करेंगी। 
 
कैंसलेशन शुल्क कम होने से ऑफ सीजन के दौरान यात्रियों को आकर्षित करने के लिए सस्ते टिकटों के ऑफरों से नुकसान हो सकता है। क्षेत्रीय रूटों पर बेस फेयर कम रखना उनकी मजबूरी होगी, लेकिन मुख्य रूटों पर बेस फेयर बढ़ाकर वे इसकी भरपाई कर सकती हैं।
 
दुबे ने कहा कि इससे 499 रुपए और 999 रुपए जैसे बहुत ज्यादा रियायती ऑफरों के तहत टिकट खरीदने वाले यात्रियों को फायदा होगा। यदि वे टिकट रद्द भी कराते हैं तो उन्हें मामूली शुल्क देना होगा।
 
एयरलाइंस परिचालन राजस्व में होने वाले इस घाटे की क्षतिपूर्ति के लिए रियायती और गैररियायती सभी टिकटों के लिए मूल किराया बढ़ा सकती हैं, हालांकि उन्होंने कहा कि इससे ऑफरों का दौर समाप्त नहीं होगा, क्योंकि यह ऑफ सीजन में खाली जा रही सीटों को भरने का एक अच्छा माध्यम है।
 
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 15 जून को राष्ट्रीय नागर उड्डयन नीति 2016 को मंजूरी दे दी। इसके तहत अन्य प्रावधानों के साथ क्षेत्रीय संपर्क योजना के तहत मेट्रो तथा बड़े शहरों से मझौले तथा छोटे शहरों की 1 घंटे तक की उड़ान का अधिकतम किराया 2,500 रुपए तय किया गया है। 
 
इससे एयरलाइंसों को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए क्षेत्रीय हवाई अड्डों पर हवाई अड्डा शुल्क पूरी तरह माफ किया गया है। साथ ही यहां विमान ईंधन पर अधिकतम 2 प्रतिशत उत्पाद शुल्क लगेगा। 
 
इसके अलावा क्षेत्रीय हवाई अड्डों की सूची में शामिल होने के लिए जरूरी है कि राज्य सरकार पुलिस और अग्निशमन सेवा नि:शुल्क उपलब्ध कराए तथा विमान ईंधन पर वैट 1 प्रतिशत से अधिक न हो। इसके अलावा मौजूदा मुख्य रूटों पर टिकटों की खरीद पर अतिरिक्त शुल्क भी लगाया जाएगा।
 
बाजार शोध कंपनी क्रिसिल रिसर्च ने क्षेत्रीय संपर्क योजना के तहत अधिकतम किराया 1 घंटे तक की उड़ान के लिए अधिकतम किराया 2,500 रुपए करने की आलोचना करते हुए कहा कि क्रिसिल रिसर्च का मानना है कि इससे क्षेत्रीय रूटों पर टिकटों की अधिकतम कीमत तय हो जाएगी, जो सरकारी हस्तक्षेप और मूल्य नियंत्रण को देखते हुए एयलाइंसों के लिए नकारात्मक है। 
 
उसका यह भी मानना है कि इससे अन्य मार्गों पर यात्रा महंगी होगी। हालांकि उसका कहना है कि सस्ते ईंधन के मद्देनजर साल-दर-साल आधार पर चालू वित्त वर्ष में किराया कम रह सकता है, लेकिन बाद में इसका बढ़ना तय है।
 
अधिकतर विमान सेवा कंपनियों ने अभी इन बदलावों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। एयर एशिया ने कहा है कि क्षेत्रीय संपर्क योजना के तहत नए रूटों पर संचालन के लिए वह अपने बेड़े का आकार मौजूदा 6 से बढ़ाकर जल्द ही 20 विमानों का करेगी।
 
क्रिसिल और दुबे दोनों ने ही विमान ईंधन (एटीएफ) पर अत्यधिक बिक्री कर के मसले पर नई नीति की खामोशी को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। क्रिसिल रिसर्च ने कहा कि एयरलाइंसों के परिचालन खर्च में एटीएफ का योगदान 30 प्रतिशत के करीब है। 
 
अलग-अलग राज्यों में एटीएफ पर बिक्री कर 4 से 30 प्रतिशत के बीच है। इससे अधिकतर अन्य देशों की तुलना में देश में एटीएफ 30 से 35 प्रतिशत महंगा है। उसने इसे क्षेत्र के लिए एक बड़ी चुनौती बताया।
 
दुबे ने एटीएफ के अलावा स्वतंत्र नागर विमानन प्राधिकरण के गठन, एयर इंडिया के निजीकरण, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण को सूचीबद्ध कराने जैसे मुद्दों पर नई नीति की चुप्पी पर भी चिंता जताई। (वार्ता) 

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