नोटबंदी के बाद बढ़ेगी सोने की मांग

बुधवार, 8 मार्च 2017 (15:42 IST)
बेंगलुरु। विश्व स्वर्ण परिषद (डब्ल्यूसीजी) ने कहा है कि नोटबंदी के बाद नकद मुद्रा के प्रति लोगों का विश्वास डगमगाया है और अब वे नकदी की बजाय सोने के रूप में अपनी बचत रखने की ओर दोबारा लौटेंगे।
 
परिषद ने भारत में सोने की मांग और उसके परिदृश्य पर बुधवार को जारी रिपोर्ट में यह बात कही है। उसने कहा है कि लोगों के व्यवहार में इस बदलाव के दम पर वह इस साल देश में सोने की मांग बढ़ने की उम्मीद करता है। हालांकि, इस साल वस्तु एवं सेवा कर लागू होने तथा तीन लाख रुपए से ज्यादा के नकद लेनदेन को प्रतिबंधित करने की संभावना और मांग पर इनके नकारात्मक प्रभाव को देखते हुए उसने इस साल सोने की कुल मांग 650 से 750 टन के बीच रहने का अनुमान जाहिर किया है।
 
इससे पहले नोटबंदी और लंबी हड़ताल के कारण पिछले साल सोने की कुल मांग वर्ष 2015 के 857.2 टन से 21.19 प्रतिशत कम होकर 675.6 टन रह गई थी। इसमें जेवराती मांग 22 प्रतिशत घटकर 514 टन तथा निवेश मांग 17.09 प्रतिशत घटकर 161.6 टन रही। जेवराती मांग में 148.3 टन की गिरावट परिषद के रिकॉर्ड में अब तक की सबसे बड़ी गिरावट रही थी।
 
डब्ल्यूसीजी द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि तीन लाख रुपए से ज्यादा के नकद लेन-देन पर प्रतिबंध से ग्रामीण भारत में मांग प्रभावित हो सकती है जबकि जीएसटी से अल्पावधि में उद्योग पर बेहद बुरा प्रभाव पड़ सकता है। हालांकि पिछले साल मांग में तेज गिरावट के बाद इसके और घटने की आशंका न के बराबर है।
 
इसमें कहा गया है कि पिछले साल की तमाम बाधाओं के बाद बैंकिंग तंत्र में बड़े पैमाने पर आया पैसा, अच्छे मानसून के बाद बंपर फसल उत्पादन और केंद्र सरकार के कर्मचारियों तथा पेंशनभोगियों की बढ़ी आमदनी से आर्थिक विकास के साथ सोने की मांग को भी गति मिलेगी। 
 
परिषद ने कहा है कि पहले भी देश में सोने की मांग में गिरावट आई है, लेकिन हर बार मांग में दोबारा सुधार देखा गया है। उसने कहा है कि तीन लाख से ज्यादा के नकद लेन-देन पर 1 अप्रैल से प्रतिबंध लगने से लोग एक बार में आभूषण खरीदने की बजाय टुकड़ों में खरीददारी के लिए मजबूर होंगे। जीएसटी के बारे में उसने कहा है इसमें सोने पर कर की दर कितनी होगी यह एक अप्रैल के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा, जब सरकार विभिन्न उद्योगों के साथ दरों पर चर्चा करेगी। (वार्ता) 

वेबदुनिया पर पढ़ें