Gold Silver news in hindi : दुनियाभर में सोने चांदी की मांग लगातार बढ़ रही है। सैफ हैवन होने की वजह से सोना सरकार, निवेशकों के साथ ही आम लोगों की पसंद बना हुआ है। इंडस्ट्रियल मांग बढ़ने से चांदी की मांग में भी तेज से इजाफा हो रहा है। निवेशकों की इसमें भी लगातार दिलचस्पी बनी हुई है। दोनों धातुओं के दाम तेजी से बढ़ रहे हैं तो मांग और सप्लाय में अंतर गहराता जा रहा है। वैश्विक स्तर पर बनी हुई अनिश्चितता की स्थिति से आने वाले समय में यह अंतर और बढ़ सकता है। ALSO READ: क्या 1 किलो चांदी से भी महंगा हो सकता 10 ग्राम सोना, सिल्वर पर क्यों लग रही है प्रीमियम
क्या है सोने चांदी के दाम : चाहे अंतराष्ट्रीय बाजार हो या कमोडिटी, बांड, ईटीएफ हो या देशी सराफा बाजार सोने चांदी के दाम लगभग ऑलटाइम हाई है। दिल्ली सराफा बाजार में 10 ग्राम सोना 125,400 रुपए प्रति 10 ग्राम मिल रहा है। वहीं 1 किलो चांदी 1,71,500 रुपए प्रति किलो है। वहीं MCX पर सोना 1,21,492 रुपए प्रति 10 ग्राम है। यहां चांदी 1,46,698 रुपए प्रति किलो है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना 4015.9 डॉलर प्रति ओंस और चांदी 49.89 डॉलर प्रति ओंस है।
कहां होता है सबसे ज्यादा सोने और चांदी का खनन : दुनिया में सबसे ज्यादा गोल्ड का खनन चीन, रूस और ऑस्ट्रेलिया में होता है। रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध की वजह से वहां सोने के खनन पर पाबंदी लगी हुई है। इस कारण पूरी दुनिया में गोल्ड की सप्लाई बाधित हुई है। दूसरी ओर मेक्सिको दुनिया का सबसे बड़ा चांदी उत्पादक देश है। इसके बाद चीन और पेरू आते हैं। रूस ने चांदी की सप्लाय कम की है तो चीन ने इसकी खरीदी काफी बढ़ा दी है।
अमेरिका में बढ़ी सोने की मांग : सोने और चांदी पर करीबी नजर रखने वाले योगेश बागौरा ने कहा कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था डगमगा रही है। ट्रंप टैरिफ ने इस संकट को और बढ़ा दिया है। इस वजह से अमेरिकी अर्थशास्त्री लगातार सोने की खरीदी कर रहे हैं। संकट से निपटने के लिए वे गोल्ड को ही सबसे सेफ मानते हैं। जब-जब डॉलर कमजोर होता है तो यूरोप और अमेरिका गोल्ड में जमकर खरीदारी करते हैं। जब-जब डॉलर तेज होता है तो यूरोप और अमेरिका गोल्ड बेचते हैं। इस वर्ष सोने की कीमत डॉलर के लिहाज से 54.6 फीसदी बढ़ी है। ALSO READ: आसमान पर सोने और चांदी के दाम, फिर भी क्यों बढ़ रही मांग?
भारत के पास कितना सोना : उन्होंने कहा कि भारत हर साल करीबन 600 - 700 टन सोना आयात करता है। भारत में हमेशा से सोने को एक सुरक्षित निवेश माना गया है। यहां शादी ब्याह और त्योहारों के सीजन में सोने की आभूषणों की मांग काफी बढ़ जाती है। युद्ध और अनिश्चतता की स्थिति में तो गोल्ड के अलावा किसी को कुछ नहीं दिखता है। भारत में इस वर्ष सोना 61.8 फीसदी महंगा हुआ है।
मार्गन स्टेनली की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के घरों में करीब 34,600 टन सोना रखे होने का अनुमान है। वर्तमान में इस सोने का मूल्य बढ़कर 3.8 ट्रिलियन डॉलर हो गया है। यह भारत के जीडीपी का करीब 88 प्रतिशत है।
गोल्ड लोन की डिमांड भी बढ़ी : भारत में सोने के दाम बढ़ने से बैंकों के पोर्टफोलियों में भी गोल्ड लोन की हिस्सेदारी बढ़ी है। एक रिपोर्ट के अनुसार, पहले जहां बैंकों के लोन पोर्टफोलियों में रिटेल और पर्सनल गोल्ड लोन की हिस्सेदारी 11 फीसदी थी, 2025 में बढ़कर 18 फीसदी हो गई। रेटिंग एजेंसी इक्रा के अनुसार, मार्च 2026 तक देश में संगठित गोल्ड लोन बाजार बढ़कर 15 लाख करोड़ का हो जाएगा।
क्यों बढ़ रहा है बांड, ईटीएफ में भरोसा : देश में पिछले कई सालों में गोल्ड और सिल्वर ने शेयर बाजार से भी अच्छा रिटर्न दिया है। इस स्थिति में निवेशकों ने फिजिकल गोल्ड की अपेक्षा पेपर गोल्ड को प्राथमिकता दी। आज देश में लोग बड़ी संख्या में बांड और ईटीएफ के माध्यम से गोल्ड और सिल्वर में निवेश कर रहे हैं। शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड में इक्विटी से दूरी बना रहे निवेशकों को गोल्ड ईटीएफ रास आ रहा है। सितंबर में लोगों ने गोल्ड ईटीएफ में 8363 करोड़ रुपए निवेश किए जो अगस्त में निवेश से करीबी 300 फीसदी ज्यादा है। हालांकि कहा जा रहा है कि इन कंपनियों के पास उतना फिजिकल गोल्ड नहीं है जितना पैसा निवेशकों ने इनमें निवेश किया है।
डिमांड और सप्लाय में अंतर : गोल्ड और सिल्वर में डिमांड और सप्लाय में अंतर काफी ज्यादा है। बाजार में मांग ज्यादा है लेकिन सप्लाय बहुत कम है। इस वजह से दोनों धातुओं में डिलिवरी के लिए भी लोगों को कई दिनों तक इंतजार करना पड़ रहा है। लोग हजारों रुपए की प्रीमियम देकर भी चांदी खरीदने के लिए बेताब है।
रिस्ट्रिक्टेड कैटेगरी में चांदी : भारत सरकार ने चांदी को मार्च 2026 को रिस्ट्रिक्टेड कैटेगरी में डाल दिया है। अब चांदी आयात करने के लिए विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) से लाइसेंस लेना अनिवार्य है। इस वजह से पिछले साल जहां 7700 टन चांदी आयात हुई थी। इस बार 3000 टन चांदी का ही आयात हुआ है। इस वजह से चांदी में मारामारी ज्यादा है।
edited by : Nrapendra Gupta अस्वीकरण : यह लेख केवल सूचना के उद्देश्य से है। यह कोई निवेश सलाह नहीं है। किसी भी निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श जरूर लें।