जीएसटीएन इस नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) ढांचे को देखती है और उसके पास 1.11 करोड़ से अधिक कारोबारी संस्थान के जीएसटी से जुड़े आंकड़े हैं। तीसरे पक्ष द्वारा ऑडिट से यह सुनिश्चित होगा कि जीएसटीएन के पास मौजूद आंकड़े पूरी तरह से सुरक्षित हैं और उसमें किसी तरह की खामी नहीं है।
कुमार ने साक्षात्कार में कहा, 'जब कभी भी जीएसटी (माल एवं सेवा कर) कानून में बदलाव किया जाता है या कोई परिपत्र जारी होता है, तो हमें उसके आधार पर सॉफ्टवेयर में भी बदलाव करना होता है। इसलिए इंफोसिस द्वारा सॉफ्टवेयर में किए गए परिवर्तनों का ऑडिट करने के लिए हमें तीसरे पक्ष की जरूरत है। इसलिए यह ऑडिट कराया जा रहा है।'
उन्होंने कहा कि वर्तमान में, कानून में बदलाव के बाद जीएसटीएन की टीम सॉफ्टवेयर परिवर्तनों का जांच - परीक्षण करती है। लेकिन हम चाहते हैं कि तीसरे पक्ष का लेखापरीक्षक (ऑडिटर) यह प्रमाणित करे कि कानून में जो बदलाव किए गए हैं, उसी के अनुरूप सॉफ्टवेयर में भी परिवर्तन हुए हैं। ऑडिट में जीएसटी नेटवर्क के लचीलेपन को बढ़ाने जैसे पहलुओं को भी शामिल किया गया है।
उन्होंने बताया कि इंफोसिस द्वारा निर्मित सॉफ्टवेयर का एक बार मानकीकरण परीक्षण और गुणवत्ता प्रमाणन निदेशालय (एसटीक्यूसी) द्वारा परीक्षण किया गया था। लेकिन वह हर समय ऑडिट नहीं कर पाएगा इसलिए सभी परिवर्तनों को प्रमाणित करने के लिए तीसरे पक्ष की आवश्यकता है। उल्लेखनीय है कि जीएसटी व्यवस्था के तहत 1.11 करोड़ कारोबारों ने खुद को पंजीकृत करवाया है। (भाषा)