नई दिल्ली। भारत द्वारा ईरान से कच्चे तेल के आयात में कटौती का लाभ बीते माह अमेरिका को मिला। उसने जून में भारत को रिकॉर्ड कच्चा तेल निर्यात किया। अमेरिका ने अपने सभी सहयोगी देशों को कहा है कि वे नवंबर तक ईरान से अपना कच्चा तेल आयात बंद कर दें।
भारत ने भी अमेरिका की नसीहत मानते हुए ईरान से कच्चे तेल के आयात में कटौती शुरू कर दी है और इस कटौती की भरपाई वह अमेरिका से आयातित कच्चे तेल के माध्यम से पूरा कर रहा है। वेनेजुएला से भी भारत ने कच्चे तेल का आयात कम कर दिया है।
अमेरिकी प्रतिबंध, अपर्याप्त निवेश और कुप्रबंधन के कारण इस साल की पहली छमाही में वेनेजुएला से आयातित कच्चे तेल में 21 प्रतिशत की कमी आई है।
अमेरिका इस बीच कच्चे तेल का बहुत बड़ा निर्यातक देश बन गया है। उसने गत अप्रैल में 17.6 लाख बैरल प्रतिदिन कच्चे तेल का निर्यात किया। अमेरिकी उत्पादकों और कारोबारियों के मुताबिक इस माह तक अमेरिका डेढ़ करोड़ बैरल से अधिक कच्चा तेल भारत को निर्यात करेगा जबकि उसने पूरे 2017 के दौरान मात्र 80 लाख बैरल का निर्यात किया था।
तेल एवं गैस क्षेत्र की कंपनी इंडियन ऑइल कॉर्पोरेशन के वित्त प्रमुख एके शर्मा के मुताबिक अमेरिकी से आयातित कच्चा तेल अपनी कम कीमत के कारण पसंदीदा बन रहा है और अगर चीन ने अमेरिका के आयातित कच्चे तेल पर टैरिफ लगाया तो इससे इसकी कीमतें और अधिक घटेंगी।
उल्लेखनीय है कि बीते माह तेल मंत्रालय ने तेल कंपनियों को ईरान से कच्चे तेल का आयात सीमित करने के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया था। जून में ईरान से तेल आयात में 16 फीसदी की कमी दर्ज की गई है। भारत को तेल आपूर्ति करने वालों शीर्ष पांच आपूर्तिकर्ताओं में ईरान और वेनेजुएला शामिल हैं। ऐसी चर्चा है कि अमेरिकी प्रशासन अगले माह एक प्रतिनिधिमंडल भारत भेजने वाला है, जो ईरान पर प्रतिबंध और तेल के मुद्दे पर चर्चा करेगा। (भाषा)