संगठन ने कहा है कि यह देखा गया है कि स्पष्ट आदेश होने के बावजूद जुलाई माह में 477 करोड़ रुपए की राशि चेक के जरिए जमा कराई गई। यह राशि जुलाई के दौरान कंपनियों से मिलने वाली भविष्य निधि की कुल 9,576 करोड़ रुपए का करीब 5 प्रतिशत है।
ईपीएफओ मुख्यालय से जारी आदेश में कहा गया है कि यह नोटिस किया गया है कि 46,965 (पीएफ जमा) चालान चेक के जरिए जमा कराए गए। ऐसी कंपनियों की पहचान की जाए जो कि भविष्य निधि जमा योगदान चेक के जरिए करती हैं और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि यह प्राप्ति इंटरनेट बैंकिंग के जरिए की जाए।
श्रम मंत्रालय ने कर्मचारी भविष्य निधि योजना 1952 में 5 मई 2015 को संशोधन करते हुए नियोक्ताओं के लिए सभी सांविधिक योगदानों को इंटरनेट बैंकिंग के जरिए करना अनिवार्य कर दिया था। हालांकि, ईपीएफओ के केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त ने भविष्य निधि योगदान एक लाख रुपए मासिक से कम होने की स्थिति में नियोक्ताओं के लिए इस राशि का भुगतान सितंबर 2015 तक चेक के जरिए करने की अनुमति दे दी थी। बाद में इस राहत को दिसंबर 2015 तक बढ़ा दिया गया लेकिन साथ ही निर्देश दिया गया कि 1 जनवरी 2016 से सभी नियोक्ताओं के लिए इंटरनेट बैंकिंग के जरिए पीएफ भुगताना करना अनिवार्य होगा।
इसके बाद भी 30 जून 2016 तक ईपीएफओ ने अपने क्षेत्रीय कार्यालयों को उनके अधिकार क्षेत्र में कंपनियों की समस्याओं से संतुष्ठ होने की स्थिति में भौतिक रूप से भुगतान की अनुमति दे दी थी। बहरहाल, ईपीएफओ के अधिकारी ने कहा है कि 30 जून 2016 के बाद भौतिक रूप से पीएफ का भुगतान करने का कोई प्रावधान नहीं है। अब सभी नियोक्ताओं को अनिवार्य रूप से इलेक्ट्रॉनिक तरीके से ही पीएफ जमा कराना होगा। नियोक्ता अब भविष्य निधि राशि भेजने के लिए तय 56 बैंकों में से किसे एक बैंक में खाता खोल सकते हैं। (भाषा)