भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अक्टूबर में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) पर 6 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया था। यह जुर्माना शेयर बाजार से असंबद्ध 6 कंपनियों में कथित निवेश को लेकर लगाया गया था। ये 6 कंपनियां (कैम्स और पावर एक्सचेंज इंडिया लि. (पीएक्सआईएल), एनएसईआईटी लि., एनएसडीएल ई-गवर्नेंस इंफ्रास्ट्रक्चर लि. (एनईआईएल), मार्केट सिम्पलिफाइड इंडिया लि. (एमएसआईएल) और रिसिवेबल्स एक्सचेंज ऑफ इंडिया लि. (आरएक्सआईएल) हैं।
सेबी ने कहा था कि एनएसई का सीधे या अपनी पूर्ण अनुषंगी इकाई एनएसआईसीएल के जरिए इन कंपनियों में निवेश शेयर बाजार की उसकी गतिविधियों से संबद्ध नहीं है और उसने नियामक से इस बारे में कोई मंजूरी नहीं ली। उसने कहा था कि इसके जरिए एनएसई ने प्रतिभूति अनुबंध (नियमन) (शेयर बाजार और समाधोशन निगम) (एसईसीसी नियमन) नियमों का उल्लंघन किया है। एनएसई ने सेबी के इस आदेश को अपीलीय न्यायाधिकरण में चुनौती दी थी।
न्यायाधिकरण ने 11 दिसंबर को पारित आदेश में एनएसई पर सेबी द्वारा लगाए गए जुर्माने पर रोक लगा दी। मामले पर अंतिम सुनवाई 29 जनवरी, 2021 को होगी। सैट ने कहा कि यह देखना होगा कि क्या शेयर बाजार के रूप में अपीलकर्ता का इन 6 कंपनियों में निवेश शेयर बाजार की गतिविधियों से संबद्ध है?
न्यायाधिकरण के अनुसार दूसरा सवाल यह है कि क्या एसईसीसी नियमन, 2012 का उपयोग जुर्माना लगाने में किया जा सकता है जबकि कारण बताओ नोटिस से पहले ही इस नियमन को निरस्त कर दिया गया था। यह भी सवाल है कि क्या एसईसीसी नियमन, 2018 के तहत निवेश को लेकर पहले से मंजूरी की जरूरत है। सैट के अनुसार इन सवालों पर विचार करने की जरूरत है, तब तक के लिए सेबी के जुर्माना आदेश पर रोक लगाई जाती है। (भाषा)