योजना आयोग द्वारा मंजूर 11वीं पंचवर्षीय योजना के मसौदे में नौ प्रतिशत आर्थिक विकास का महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया गया है और इसके लिए कृषि क्षेत्र पर विशेष ध्यान देने की बात की गई है।
तेल एवं खाद्य सब्सिडी के बढ़ते बोझ से चितिंत प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह ने इस दिशा में उपाय करने पर जोर दिया है।
योजना आयोग की पूर्ण बैठक में सिंह ने कहा हमें खाद्य, उर्वरक और पेट्रोलियम पदार्थों पर सब्सिडी के बोझ की समस्या का हल ढूँढने की जरूरत है। इन तीन उत्पादों पर इस वर्ष ही एक लाख करोड़ रुपए सब्सिडी के मद में खर्च होंगे।
सिंह ने कहा कि सब्सिडी की पुनर्रचना महत्वपूर्ण है ताकि जरूरतमंद और गरीब लोगों को उनसे फायदा पहुँचे और सभी खामियाँ दूर हों।
उन्होंने राष्ट्र को खाद्य सुरक्षा के प्रति आगाह करते हुए कहा कि खाद्यान्न उत्पादन और कीमतों के अंतरराष्ट्रीय रूझान और हमारी माँग एवं खपत के स्वरूप उपलब्धता और कीमत दोनों पर ही दबाव बनाने जा रहे हैं।
सिंह ने कहा कि देश को इन दबावों को दूर करने की जरूरत है। साथ ही यह सुनिश्चित करना है कि कृषि क्षेत्र हमारी अपेक्षा के अनुरूप प्रदर्शन करे और हमारी खाद्यान्न संबंधी योजना उभर रही बाजार वास्तविकताओं के अनुरूप हो।
योजना में प्रस्ताव किया गया है कि कृषि क्षेत्र की औसत वृद्धि दर चार प्रतिशत रहे, जो दसवीं योजनावधि के दौरान औसतन 2.13 प्रतिशत रही थी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि संप्रग सरकार के शासन के पहले चार साल के दौरान नौ प्रतिशत की विकास दर हासिल हुई लेकिन विकास का फायदा केवल चुनिन्दा लोगों तक या समाज के चुनिन्दा वर्ग तक नहीं हो सकता।
उन्होंने कहा कि सरकार को व्यापक दृष्टिकोण अपनाना होगा और समग्र विकास हासिल करने के लिए रोडमैप बनाना होगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि विकास की गति और 11वीं योजनावधि के दौरान दस प्रतिशत की विकास दर बनाई रखी जानी चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए कि सशक्तीकरण कार्यक्रमों का कार्यान्वयन प्रभावशाली ढंग से हो और उसमें कोई खामी न रहे।