भारतीय क्रिकेट बोर्ड (BCCI) ने विश्व क्रिकेट की वित्तीय ताकत के रूप में अपनी स्थिति की पुष्टि की क्योंकि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) ने गुरुवार को डरबन में अपनी बोर्ड बैठक में राजस्व वितरण मॉडल को सर्वसम्मति से पारित कर दिया।
आईसीसी ने साथ ही विभिन्न लीग में टीमों के लिए विदेशी क्रिकेटरों की सीमा तय कर दी है जिससे नई प्रतियोगिताओं में हर टीम अपनी एकादश में चार विदेशी खिलाड़ियों को ही खिला पाएंगी। यह मुख्य रूप से हर कोने में शुरू होने वाली टी20 लीग के लिए है जो खेल के अंतरराष्ट्रीय प्रारूप के लिए खतरा पैदा कर रहा है।
हालांकि आईसीसी मीडिया विज्ञप्ति में यह नहीं बताया गया है कि बीसीसीआई को वितरण मॉडल से कितना राजस्व मिलेगा लेकिन उम्मीद है कि भारतीय बोर्ड अगले चार वर्षों में 60 करोड़ डॉलर में से सालाना 23 करोड़ डॉलर कमाएगा।
यह कुल राजस्व लगभग 38.4 प्रतिशत है और इंग्लैंड एवं वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ईसीबी) से कम से कम छह गुना अधिक है जिसे 6.89 प्रतिशत के हिसाब से चार करोड़ 10 लाख डॉलर और क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया (सीए) को तीन करोड़ 75 लाख डॉलर (लगभग 6.25 प्रतिशत) मिलेंगे। वे सूची में दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं।
आईसीसी की विज्ञप्ति में कहा गया है, आईसीसी बोर्ड ने अगले चार वर्षों के लिए वितरण मॉडल पर सहमति के बाद खेल में अब तक के सबसे बड़े निवेश की भी पुष्टि की है।
इसमें आगे कहा गया है, प्रत्येक आईसीसी सदस्य को आईसीसी वैश्विक विकास रणनीति के अनुरूप वैश्विक विकास पहल को चलाने के लिए एक रणनीतिक निवेश कोष के साथ बढ़ी हुई राशि प्राप्त होगी।
हालांकि विज्ञप्ति में संख्या नहीं थी लेकिन आईसीसी बोर्ड के एक सदस्य ने पुष्टि की कि बीसीसीआई को खेल के विकास में योगदान के लिए उचित हिस्सा मिला है और इस चक्र में प्रत्येक सदस्य काफी अधिक कमाएगा।
आईसीसी के चेयरमैन ग्रेग बार्कले ने कहा, सभी सदस्यों को आधार वितरण मिलेगा और फिर मैदान के अंदर और बाहर वैश्विक खेल में योगदान के संबंध में अतिरिक्त राजस्व होगा।
आईसीसी ने साथ ही फैसला किया है कि शीर्ष देशों के टी20 विशेषज्ञों के सामूहिक संन्यास को रोकने के लिए सभी नई प्रतियोगिताओं (विभिन्न टी20 लीग) में कम से कम सात घरेलू खिलाड़ियों या एसोसिएट सदस्यों के खिलाड़ियों को अपनी एकादश में शामिल करना होगा।
संयुक्त राज्य अमेरिका में मेजर लीग क्रिकेट (एमएलसी) शुरू होने के साथ और सऊदी अरब भी भविष्य में एक महत्वाकांक्षी टी20 लीग की योजना बना रहा है और ऐसे में हितधारक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की रक्षा करना चाहते हैं।
मेजबान टी20 बोर्ड को एकजुटता शुल्क भी देना होगा जो सरल शब्दों में एक विदेशी खिलाड़ी के घरेलू बोर्ड को दिया जाने वाला कमीशन है।
मुख्य कार्यकारी अधिकारियों की समिति ने ओवर गति से जुड़ी सजा में बदलाव को स्वीकृति दी जिससे कि ओवर गति को बनाए रखने और खिलाड़ियों को उचित पारिश्रमिक सुनिश्चित हो सके।ऐसे खिलाड़ियों पर निर्धारित समय में प्रत्येक ओवर कम फेंकने के लिए उनकी मैच फीस का पांच प्रतिशत और अधिकतम 50 प्रतिशत तक जुर्माना लगाया जाएगा।
यदि कोई टीम 80 ओवरों में नई गेंद लेने से पहले आउट हो जाती है तो धीमी ओवर गति होने पर भी ओवर गति से जुड़ा कोई जुर्माना नहीं लगाया जाएगा। यह 60 ओवर की मौजूदा समय सीमा से अधिक है।(भाषा)