नई दिल्ली। भारतीय टीम का इंग्लैंड में होने वाली आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी में भाग लेना तय हो गया है लेकिन भारत अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के साथ नए संविधान और राजस्व मॉडल पर बातचीत को लेकर अपने रुख पर कायम है।
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के कार्यवाहक सचिव अमिताभ चौधरी ने रविवार को बोर्ड की विशेष आम बैठक (एसजीएम) के बाद कहा कि मैं यह पूरी तरह स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि हम आईसीसी के सामने झुके नहीं हैं और हमने कुछ भी नहीं छोड़ा है। हमने आगे किसी भी कार्रवाई के लिए पर्याप्त कानूनी विकल्प खुला छोड़ रखा है।
बैठक में बीसीसीआई के सदस्य राज्य संघों ने सर्वसम्मति से फैसला किया कि सदस्यता भागीदारी समझौता (एमपीए) तोड़ने की संभावना पर आईसीसी को कोई नोटिस नहीं भेजा जाए। यदि ऐसा कदम उठाया जाता तो भारत 2023 तक आईसीसी के सभी टूर्नामेंटों से बाहर हो जाता।
चौधरी ने कहा कि हम पैसे को लेकर ज्यादा अटके हुए थे। आईसीसी के नए ढांचे को लेकर दो स्वरूप हैं। वित्तीय मॉडल उसी का एक हिस्सा है। बड़ा परिवर्तन प्रशासनिक ढांचे को लेकर है और हमें इसी बात पर सबसे ज्यादा ध्यान देना चाहिए, क्योंकि इसके ही बड़े परिणाम होंगे।
समझा जाता है कि बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष एन. श्रीनिवासन वीडियो कॉल के जरिए एसजीएम से जुड़े थे और उनका कहना था कि आईसीसी बोर्ड बैठक में मंजूर किए गए प्रशासनिक परिवर्तन भारतीय बोर्ड के लिए राजस्व मॉडल से ज्यादा चिंता का विषय है।
चौधरी ने कहा कि हमारी चिंताएं स्पष्ट हैं। क्रिकेट वैश्विक खेल के रूप में फैलना चाहिए लेकिन साथ ही विश्व क्रिकेट के सबसे प्रमुख देश के रूप में हमारी स्थिति बनी रहनी चाहिए। मुझे लगता है कि सभी पूर्ण सदस्यों और तीन एसोसिएट सदस्यों सिंगापुर, आयरलैंड और एक अन्य देश के प्रतिनिधियों की सहानुभूति हमारे साथ है और यही मेरी उम्मीद की वजह है। (वार्ता)