नई दिल्ली। प्रतिबंधित क्रिकेट खिलाड़ी एस. श्रीसंत ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड द्वारा स्पॉट फिक्सिंग के आरोप में उस पर लगाया गया आजीवन प्रतिबंध बहुत ही कठोर है। उसका कहना है कि उसके पास इंग्लिश काउन्टी में मैच खेलने के प्रस्ताव हैं।
श्रीसंत का कहना है कि अब तक वह 4 साल से प्रतिबंध का सामना कर रहा है। हालांकि 2013 के सनसनीखेज स्पॉट फिक्सिंग मामले में 2015 में उसे दिल्ली की एक अदालत बरी कर चुकी है। श्रीसंत ने कहा कि जब 2000 के मैच फिक्सिंग प्रकरण में संलिप्तता में आजीवन प्रतिबंध का सामना कर रहे क्रिकेटर से राजनीतिक बने मोहम्मद अजहरुद्दीन के मामले में इसे बदला जा सकता है तो फिर उसके ऊपर लगा प्रतिबंध क्यों नहीं निरस्त किया जा सकता?
आंध्रप्रदेश उच्च न्यायालय ने 8 नवंबर, 2012 को अपने फैसले में अजहरुद्दीन पर लगे आजीवन प्रतिबंध को गैरकानूनी करार देते हुए कहा था कि कानून की विवेचना में यह कहीं नहीं टिक सकेगा।
न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की पीठ ने इस तथ्य पर गौर किया कि निचली अदालत के 2015 के फैसले के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय में लंबित अपील जनवरी के दूसरे सप्ताह में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है। पीठ ने श्रीसंत की याचिका पर सुनवाई स्थगित करते हुए कहा कि हम इस मामले में जनवरी के तीसरे सप्ताह में सुनवाई करेंगे।
श्रीसंत की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने कहा कि यह खिलाड़ी अब 35 साल का हो गया है और यदि यह प्रतिबंध खत्म नहीं किया गया तो वह ब्रिटेन में क्लब क्रिकेट भी नहीं खेल सकेगा। उन्होंने कहा कि 35 साल की आयु में खिलाड़ी के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की संभावना लगभग खत्म हो जाती है और कम से कम उसे क्लब क्रिकेट खेलने की अनुमति दी जानी चाहिए।
बीसीसीआई की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पराग त्रिपाठी ने कहा कि श्रीसंत के खिलाफ बहुत ठोस साक्ष्य थे जिसकी वजह से क्रिकेट की शीर्ष संस्थ ने उस पर प्रतिबंध लगाया है और इस संस्था ने खेल में भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं करने का निर्णय कर रखा है और इसी वजह से आजीवन प्रतिबंध हटाया नहीं जा सकता।